ट्रेनों में खराब भोजन को लेकर 6645 शिकायतें, जानिए रेलवे ने कैसे की कार्रवाई

रेल यात्री अब ट्रेनों में परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर खुलकर आवाज उठाने लगे हैं। साल 2024 से 25 के बीच यात्रियों…

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रेल यात्री अब ट्रेनों में परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर खुलकर आवाज उठाने लगे हैं। साल 2024 से 25 के बीच यात्रियों ने 6645 बार रेलवे से शिकायत की है। ये शिकायतें सीधे खाने को लेकर हुईं। यानी या तो खाना खराब था या परोसने का तरीका सही नहीं था।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में बताया कि इन शिकायतों पर रेलवे ने कई स्तरों पर कार्रवाई की है। 1341 मामलों में जहां सीधे खाद्य आपूर्तिकर्ताओं पर जुर्माना लगाया गया। वहीं 2995 मामलों में सिर्फ चेतावनी दी गई। इसके अलावा 1547 मामलों में संबंधित पक्ष को सलाह दी गई और बाकी 762 शिकायतों में अलग तरीके से कार्रवाई की गई।

राज्यसभा में माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने रेलवे में खाने की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने यह भी पूछा कि पिछले पांच साल में यात्रियों ने खाने को लेकर कितनी शिकायतें की हैं और क्या रेलवे ने किसी कैटरिंग कंपनी पर कार्रवाई की है। इस पर जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि रेलवे हर शिकायत को गंभीरता से लेता है। चाहे मामला मिलावट का हो या फिर सेवा में लापरवाही का। हर स्तर पर तत्काल और सख्त कार्रवाई की जाती है।

उन्होंने यह भी बताया कि साल 2023 से 24 के बीच खाने की गुणवत्ता को लेकर 7026 शिकायतें आई थीं। साल 2022 से 23 में 4421 और साल 2021 से 22 में 1082 शिकायतें मिली थीं।

सांसद ने यह सवाल भी उठाया कि क्या वंदे भारत और अन्य लंबी दूरी की ट्रेनों में एक ही ग्रुप को ठेके दिए गए हैं। इस पर मंत्री ने बताया कि आईआरसीटीसी इन सेवाओं के लिए समय समय पर निविदाएं निकालता है। जो कंपनी ज्यादा बोली लगाती है उसे नियमों के तहत काम दिया जाता है। साथ ही किन कंपनियों को कौन सा काम मिला है इसका पूरा ब्योरा आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर डाला जाता है।

फिलहाल आईआरसीटीसी ने ट्रेनों के ग्रुप्स के हिसाब से 20 अलग अलग कंपनियों को ठेके दिए हैं। रेल मंत्री ने यह भी बताया कि खाने की गुणवत्ता सुधारने के लिए रेलवे लगातार कई कदम उठा रहा है। जैसे तयशुदा बेस किचन से ही खाना भेजा जाता है। कई जगहों पर आधुनिक बेस किचन बनाए गए हैं। बेस किचन में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ब्रांडेड और भरोसेमंद कच्चे माल का इस्तेमाल किया जा रहा है और खाद्य सुरक्षा पर निगरानी रखने के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति भी की गई है।