राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना इलाके में शुक्रवार सुबह जो मंजर दिखा उसने हर किसी का दिल दहला दिया। पीपलोदी गांव में स्थित एक सरकारी स्कूल में बच्चे रोज की तरह पढ़ाई करने पहुंचे थे। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि ये दिन उनकी जिंदगी का सबसे भयावह दिन बनने वाला है। स्कूल की इमारत की छत अचानक भरभरा कर गिर गई। उस वक्त बच्चे प्रार्थना के लिए जा रहे थे। तभी एक कमरा अचानक से ढह गया और बच्चे मलबे में दबते चले गए।
गांव के लोग और स्कूल में मौजूद स्टाफ तुरंत भागे। जो भी मिला वो दौड़ पड़ा बच्चों को बचाने। मलबा हटाया गया और किसी तरह उन्नीस बच्चों को बाहर निकाला गया। इनमें से कई बच्चे गंभीर हालत में थे। आनन फानन में सभी को मनोहरथाना के सीएचसी अस्पताल ले जाया गया। लेकिन अस्पताल में चार मासूमों को मृत घोषित कर दिया गया। पंद्रह बच्चे घायल हैं जिनमें से आठ की हालत नाजुक है। उन्हें झालावाड़ जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है।
हादसे की खबर जैसे ही फैली प्रशासन से लेकर पुलिस और शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी मौके पर पहुंच गए। राहत बचाव का काम तेजी से शुरू कर दिया गया। मौके पर दांगीपुरा थाने के प्रभारी विजेंद्र कुमार खुद मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि सभी बच्चों को बाहर निकाल लिया गया है और इलाज जारी है।
राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि यह हादसा बेहद पीड़ादायक है। उन्होंने बताया कि जिला कलेक्टर और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि बच्चों के इलाज की पूरी व्यवस्था की जाए। सरकार के खर्चे पर इलाज होगा। किसी भी परिवार को परेशानी नहीं होने दी जाएगी। साथ ही उन्होंने साफ किया कि इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी। आखिर छत गिरी क्यों ये सवाल अब सबसे बड़ा है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी इस हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि यह बहुत ही हृदयविदारक हादसा है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि घायलों के इलाज में कोई कमी न रह जाए। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि हादसे की पूरी जांच होगी और अगर इसमें किसी की लापरवाही सामने आती है तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने शिक्षा मंत्री को तुरंत मौके पर जाने को कहा। इसके बाद मंत्री भरतपुर से सीधे मनोहरथाना रवाना हो गए।
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने भी शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस हादसे में जो मासूम अपनी जान गंवा बैठे उनके परिवारों को इस दुख की घड़ी में ताकत मिले। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि हादसे की खबर बेहद तकलीफ देने वाली है। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की है कि घायलों को जल्द राहत मिले।
शुरुआती जांच में ये बात सामने आ रही है कि स्कूल की इमारत जर्जर थी और पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही थी। ऐसे में छत का गिरना इत्तेफाक नहीं माना जा सकता। अब यह जांच का विषय बन चुका है और परिजन से लेकर गांव के लोग तक सिर्फ एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि बच्चों की जिंदगी के साथ आखिर खिलवाड़ क्यों हुआ।
प्रशासन की तरफ से भरोसा दिया गया है कि पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद दी जाएगी। लेकिन जिन घरों के बच्चों की जान गई है उनके आंसू अब किसी भरोसे से थम नहीं सकते।
