लखनऊ की एक युवती के साथ जो हुआ उसने भरोसे को ही तोड़कर रख दिया है। रहीमाबाद की रहने वाली इस सामाजिक कार्यकर्त्री ने बताया कि कैसे एक युवक ने तिलक लगाकर और कलावा बांधकर खुद को हिंदू बताया और फिर आर्य समाज मंदिर में उससे शादी कर ली। नाम बताया विवेक रावत। पिता का नाम बताया रामपाल रावत। पता बताया हरदोई के पिहानी दहेलिया का। कहा कि ट्रैवल एजेंसी चलाता है।
पहचान एक फोन कॉल से शुरू हुई थी। उसने पेंशन की जानकारी के बहाने बात शुरू की। फिर लगातार कॉल करता रहा और मिलने का दबाव बनाने लगा। मना करने पर भी एक दिन खुद उसके घर पहुंच गया और शादी की बात छेड़ दी। खुद को हिंदू बताया और यही बात उसकी बहन और बहनोई को भी बताई गई। कुछ समय बाद आर्य समाज मंदिर में जाकर दोनों ने शादी कर ली। साल था दो हजार सत्रह।
इसके बाद वह युवती को लखनऊ ले गया। दो साल किराए के मकान में साथ रहा। फिर कोरोना आया। युवती ने कहा हरदोई चलकर रहें। लेकिन वह टालमटोल करता रहा। कहने लगा कि धंधा बंद हो गया है। फिर कुछ वक्त बाद वह युवती के ही रहीमाबाद वाले घर में आकर रहने लगा। चार साल तक वहीं रहा। लेकिन जब युवती ने कहा कि अब हरदोई चलते हैं तो फिर से बहाने बनाने लगा।
एक दिन बोला कि नौकरी मिल गई है। लखनऊ जा रहा हूं। फिर धीरे धीरे आना जाना कम कर दिया। डेढ़ साल बीत गया। फिर फोन पर बताया कि नौकरी छूट गई है और अब वह दिल्ली चला गया है। इसके बाद लगभग एक साल तक उसका कोई पता नहीं चला।
थक हारकर जब युवती खुद उसकी तलाश में हरदोई पहुंची तो उसकी पूरी सच्चाई सामने आ गई। जिसे वह आठ साल से विवेक समझ रही थी वह असल में कमरुल हक निकला। मुसलमान। शादीशुदा। बच्चे वाला। जब उसने विरोध किया तो युवक के घरवालों ने उसे पीटकर घर से भगा दिया।
पीड़िता का कहना है कि कमरुल हक तिलक लगाता था। पूजा करता था। हाथ में कलावा बांधता था। इसी वजह से उस पर कोई शक नहीं हुआ। उसने भरोसे को ही हथियार बना लिया और धोखा दिया। यहां तक कि जब वह उसके घर पहुंची तो जान से मारने की कोशिश भी की गई। वह किसी तरह बाथरूम में जाकर खुद को बचा पाई। बाद में उसने पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल किया। पुलिस आई और उसे वहां से सुरक्षित निकाला।
अब रहीमाबाद पुलिस ने युवती की तहरीर पर कमरुल हक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। इंस्पेक्टर आनंद द्विवेदी ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
