उत्तराखंड में पैदा हुआ चार सींग वाला अनोखा जीव जिसे देखने के लिए उमड पड़ी भीड़, माना जा रहा है नंदा देवी का चमत्कार, जाने कौन सा है जिला

उत्तराखंड के चमोली जिले के कोटी गांव में मिला एक अद्भुत मेमना लोगों का ध्यान भटका रहा है। इस 5 महीने के नर मेमने के…

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उत्तराखंड के चमोली जिले के कोटी गांव में मिला एक अद्भुत मेमना लोगों का ध्यान भटका रहा है। इस 5 महीने के नर मेमने के सिर पर चार पूरी तरह विकसित सींग हैं, जिसने धर्म और विज्ञान दोनों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।


स्थानीय चरवाहे हरीश लाल के झुंड में जन्मे इस मेमने को ग्रामीण ‘चौसिंघा खाडू’ मान रहे हैं। यही मेढ़ा हर 12 साल में होने वाली प्रसिद्ध नंदा देवी राज जात यात्रा की अगुवाई करता है, जिसे ‘हिमालयी कुंभ’ भी कहा जाता है।

साल 2026 में होने वाली इस 280 किलोमीटर लंबी 19 दिवसीय यात्रा में यह मेमना सबसे आगे चल सकता है। नंदा देवी यात्रा की शुरुआत नौटी गांव से होती है और दुर्गम पहाड़ी रास्तों, रूप कुंड और हेमकुंड जैसी पवित्र जिलो से होकर कैलाश पर्वत तक जाता है। बताया जा रहा है की यात्रा की अगुवाई एक विशेष मेढ़ा करता है, जिसे देवी नंदा देवी का दूत माना जाता है।


हरीश लाल के बेटे गौरव का कहना है कि हम सालों से पशुपालन कर रहे हैं और ऐसा मेमना पहली बार देखा है। हम यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है अगर इस यात्रा में चुना जाता है।


इस मेमने को परिवार ने निशुल्क नंदा देवी राजजात समिति को सौंप दिया है। पूर्व ग्राम प्रधान और सामाजिक कार्यकर्ता गौतम मिंग्वाल ने इस खोज को सिर्फ धार्मिक चमत्कार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान की वापसी बताया। उन्होंने कहा, ‘चार सींग वाला खाडू जब भी दिखता है, उसका कोई विशेष अर्थ होता है।


समिति के अध्यक्ष राकेश कुंवर ने इस प्रस्ताव को सही बताया, लेकिन कहा कि अंतिम फैसला परंपरा और शास्त्रों के अनुसार ही लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि मौड़वी संस्कार पूरा हो चुका है, लेकिन चौसिंघा खाडू को चुनने की आधिकारिक घोषणा बसंत पंचमी के दिन होगी।


इस मेमने के चार सींगों ने वैज्ञानिकों को भी चौंका दिया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस के गुप्ता के अनुसार, यह पॉलीसेरेट उत्परिवर्तनका मामला है, जो अत्यंत दुर्लभ है।
लोकमान्यता है कि जब देवी नंदा अपने मायके से कैलाश जाती हैं, तो आकाश भी उनकी विदाई पर भावुक हो जाता है।

हर यात्रा भारी बारिश के साथ शुरू होती है और एक दिव्य अनुभूति के रूप में देखी जाती है। यदि यह चौसिंघा खाडू अगला अगुआ बनता है, तो यह यात्रा एक बार फिर इतिहास रच सकती है।