पालतू कुत्ते बिल्ली पालने वालों को अब ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। इन जानवरों के साथ लगातार संपर्क में रहने से और सफाई पूरी तरह न होने पर लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, इससे किडनी और लीवर प्रभावित हो रहे हैं।
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हाल ही में कई ऐसे मरीज आए जिनमें इस बीमारी के लक्षण पाए गए। डॉक्टर को कहना है कि संक्रमण को समय रहते पहचान जरुरी है और अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो मरीज की हालत गंभीर हो सकती है।
दून के अस्पतालों में रोजाना औसतन 250 लोग कुत्ते के काटने पर इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं। फार्मासिस्ट के अनुसार, लगभग 65 से 70 फीसदी मामले पालतू कुत्तों के काटने के होते हैं।
वही दून के अस्पतालों की वरिष्ठ फिजीशियन का कहना है कि इस बीमारी के शुरुआती लक्षण मलेरिया की तरह होते हैं। एंटीबायोटिक दावों से इलाज संभव है लेकिन देर होने पर मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।
बताया जा रहा है कि यह एक जेनेटिक रोग है जो जानवरों से इंसान में फैला है। पालतू जानवरों से संपर्क के बाद हाथ धोना सफाई और समय समय पर टीकाकरण होना ही इसका बचाव है।
क्या है लेप्टोस्पायरोसिस?
फिजिशियन डॉ. कुमारजी कौल बताते हैं कि यह रोग लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया के कारण फैलता है। उन्होंने बताया, यह किसी संक्रमित जानवर, खासकर कुत्ते और बिल्ली के मल-मूत्र या उनके संपर्क में आने से इंसान तक पहुंच सकता है।
