उत्तराखंड में इस बार जुलाई का महीना बेहद अहम होने वाला है। एक तरफ पहाड़ों पर बारिश का दौर शुरू हो चुका है तो दूसरी तरफ पूरे राज्य में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। नामांकन से लेकर मतदान और मतगणना तक की सारी गतिविधियां इसी मानसूनी सीजन में पूरी होनी हैं। ऐसे में राज्य प्रशासन के सामने दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है। एक तरफ मतदान का काम बिना रुकावट के कराना है तो दूसरी तरफ बारिश और भूस्खलन जैसी आपदाओं से भी निपटना है।
प्रदेश में कई जगहों पर लगातार बारिश के चलते सड़कों के बंद होने की खबरें आ रही हैं। भूस्खलन से रास्ते टूट रहे हैं। कई इलाकों में आवाजाही भी ठप हो गई है। इसी को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने आपदा प्रबंधन विभाग से विशेष मदद की मांग की है। आयोग ने यह भी कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो मतदान दलों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर की सहायता भी ली जा सकती है।
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य सरकार पूरी तरह से सतर्क है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर दो हेलीकॉप्टर स्टैंडबाई पर रखे गए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में उनका इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि जिला स्तर पर सभी प्रशासनिक टीमें अलर्ट मोड पर हैं और लगातार हालात की निगरानी की जा रही है।
चुनाव आयोग की तरफ से जिलों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि बारिश की वजह से कोई भी पोलिंग पार्टी या मतदाता प्रभावित न हो। प्रशासन ने यह भरोसा दिलाया है कि हर परिस्थिति से निपटने के लिए जरूरी तैयारियां कर ली गई हैं। चाहे रास्ते टूट जाएं या बारिश से इलाके कट जाएं सभी जगहों पर पहुंच बनाने के लिए वैकल्पिक इंतजाम पहले से किए गए हैं।
इस बार पंचायत चुनाव में वोट डालने वालों की संख्या भी पहले के मुकाबले काफी बढ़ गई है। पूरे राज्य में इस बार कुल मतदाताओं की संख्या 47 लाख से ज्यादा है। इनमें करीब 24 लाख पुरुष और 23 लाख महिला मतदाता हैं। इसके अलावा तीसरी श्रेणी के मतदाताओं की संख्या भी करीब तीन सौ सत्तर से ऊपर है। साल 2019 के मुकाबले इस बार मतदाताओं की संख्या में दस फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। यानी करीब चार लाख साठ हजार नए मतदाता जुड़े हैं।
प्रदेश में यह पूरी चुनावी प्रक्रिया 31 जुलाई तक चलेगी। ऐसे में अगले तीन से चार हफ्ते सरकार और प्रशासन के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं। अब देखना होगा कि वोटिंग और मौसम दोनों की कसौटी पर उत्तराखंड कितना खरा उतरता है।
