उत्तरकाशी जिले के जानकीचट्टी-यमुनोत्री पैदल मार्ग पर सोमवार दोपहर अचानक भूस्खलन हो गया। पहाड़ी से मलबा और भारी बोल्डर गिरने से कई यात्री इसकी चपेट में आ गए। सूचना मिलते ही एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और राहत-बचाव कार्य शुरू किया गया।
बचाव अभियान के दौरान मुंबई निवासी एक यात्री रशिक को मलबे से निकालकर जानकीचट्टी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। रशिक के सिर और हाथ में चोट आई है, हालांकि उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। रशिक ने बताया कि उसका एक साथी भी बोल्डर की चपेट में आया है। वहीं घटनास्थल से 12 वर्षीय एक किशोरी का शव भी बरामद हुआ है। जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो सकी है।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि अब तक तीन लोगों के बारे में जानकारी मिली है। एक घायल का इलाज जारी है। एक किशोरी की मौत हो चुकी है और एक अन्य यात्री की तलाश अभी जारी है।
भूस्खलन की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे राहत दल ने यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। भारी बारिश के चलते मलबा साफ करने में कठिनाई आ रही है। रास्ता फिर से खोलने के प्रयास जारी हैं।
इस बीच मौसम विभाग ने 22 से 26 जून तक देहरादून, नैनीताल, टिहरी और चंपावत जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई है। यूएसडीएमए के अधीन राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर सतर्क रहने और आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं।
इधर गंगोत्री हाईवे पर सुक्की के सात नाले एक बार फिर चिंता का कारण बन गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन नालों पर न तो अब तक कोई सुरक्षात्मक कार्य हुआ है और न ही बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने सुधारीकरण की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया है।
स्थानीय निवासी संजय राणा, मनोज नेगी, भागवत पंवार, दीपक राणा और अजय नेगी ने बताया कि यह हाईवे हर्षिल घाटी, गंगोत्री और भारत-चीन सीमा को जोड़ता है। लेकिन हाईवे शुरू होते ही सात नाले बरसात के मौसम में परेशानी का कारण बनते हैं।
चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालुओं के साथ-साथ हर्षिल घाटी के आठ गांवों के ग्रामीणों और सेना-आईटीबीपी के जवानों को भी इस दौरान आवाजाही में दिक्कत झेलनी पड़ती है। बारिश के कारण जलस्तर बढ़ने और मलबा आने से कई बार सड़क पूरी तरह बंद हो जाती है।
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन और बीआरओ से मांग की है कि बरसात से पहले इन सातों नालों पर सुरक्षात्मक कार्य कराए जाएं। ताकि हर साल होने वाली परेशानी से राहत मिल सके।
