हल्द्वानी शहर में इन दिनों स्मार्ट मीटर को लेकर लोगों की परेशानी बढ़ गई है। सरकार और बिजली विभाग लगातार इसके फायदे गिना रहे हैं। लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है। डहरिया इलाके में रहने वाले दो परिवारों के पास ऐसा बिल पहुंचा है जिसने सबको चौंका दिया है। एक परिवार को करीब दो लाख तिरेसठ हजार रुपये का बिल मिला है। वहीं बगल में ही रहने वाले दूसरे परिवार के पास तेईस लाख बारह हजार रुपये का बिल आया है। अब लोग पूछ रहे हैं कि क्या यही है स्मार्ट मीटर का फायदा।
सीएमटी कॉलोनी में रहने वाले भवानी राम का कहना है कि उनके घर में हर महीने एक से दो हजार रुपये तक का बिल आता रहा है। लेकिन इस बार जब बिल देखा तो उनके होश उड़ गए। मीटर बदले हुए सिर्फ पांच महीने हुए थे और बिल दो लाख से ज्यादा का थमा दिया गया। वहीं दूसरे परिवार को जो बिल मिला उसने तो पूरे मोहल्ले में खलबली मचा दी। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि अगर मीटर स्मार्ट है तो इतनी बड़ी गलती कैसे हो सकती है।
बिजली विभाग की मानें तो तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ है। उनका कहना है कि पुराने मीटर की रीडिंग से नया बिल तैयार हो गया। अधिकारी कह रहे हैं कि मामला पकड़ में आते ही सुधार कर दिया गया है। लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर लोग शिकायत न करते तो क्या इतना बड़ा बिल भी वसूल लिया जाता। विभाग के अधिशासी अभियंता बेगराज सिंह का कहना है कि दो लाख तिरेसठ हजार का मामला उनके पास आया था और उसे ठीक कर दिया गया है। लेकिन तेईस लाख वाले बिल की जानकारी उन्हें नहीं है।
बिजली विभाग ये भी कह रहा है कि जिस उपभोक्ता के पास मैसेज आया है उसमें छेड़छाड़ की गई हो सकती है। अगर ऐसा साबित होता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यानी गलती की जिम्मेदारी भी अब उपभोक्ताओं पर डाली जा रही है। जबकि सच ये है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद कई लोग लगातार शिकायत कर रहे हैं कि उनके बिल अचानक बहुत ज्यादा आने लगे हैं। विभाग का दावा है कि गड़बड़ी अगर होती भी है तो उसे ठीक कर लिया जाता है। लेकिन जब तक ऐसा होता है तब तक उपभोक्ता तनाव और चिंता में डूब चुके होते हैं।
सवाल यही है कि अगर तकनीक इतनी ही स्मार्ट है तो हर बार गलती क्यों दोहराई जा रही है। और सबसे बड़ा सवाल ये कि आम आदमी हर बार क्यों भुगते।
