आने वाली 7 जून 2025 की तारीख को लेकर विश्व भर में चर्चा तेज़ हो गई है। यह सिर्फ एक सामान्य दिन नहीं, बल्कि एक ऐसा संयोग लेकर आ रहा है जिसे लेकर खगोल वैज्ञानिकों से लेकर खुफिया एजेंसियों तक में हलचल देखी जा रही है। आसमान की गतिविधियों में जिस प्रकार की तेजी और उथल-पुथल दर्ज की जा रही है, वह न सिर्फ खगोल विज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानवीय मानसिकता और वैश्विक घटनाओं पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर भी चिंता बढ़ा रही है। खगोलविदों के मुताबिक, इस दिन मंगल ग्रह सिंह राशि में प्रवेश करेगा और इसका प्रभाव पृथ्वी की चुंबकीय स्थिति से लेकर मनुष्यों के व्यवहार तक में महसूस किया जा सकता है।
इस खगोलीय परिवर्तन के साथ एक बार फिर से बाबा वेंगा की भविष्यवाणियां चर्चा में आ गई हैं। बाबा वेंगा, जो बुल्गारिया की एक दृष्टिहीन महिला भविष्यवक्ता थीं, उन्होंने अपने जीवनकाल में कई ऐसी घटनाओं की भविष्यवाणी की थी जो बाद में सटीक साबित हुईं। 1996 में उनका देहांत हो गया, लेकिन उनके द्वारा की गई भविष्यवाणियों का दायरा सैकड़ों वर्षों तक फैला हुआ है। 2025 को लेकर उनके कुछ कथन अब गंभीरता से लिए जा रहे हैं। उन्होंने इशारा किया था कि इस साल के मध्य में दुनिया एक मानसिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक मोड़ पर पहुंचेगी, जहां विज्ञान और अध्यात्म के बीच टकराव या संतुलन की नई परिभाषा गढ़ी जाएगी।
वर्तमान समय में मौसम में हो रहे असामान्य बदलाव, समुद्र का बढ़ता तापमान और लगातार सामने आ रही जलजनित बीमारियों की आशंका इन भविष्यवाणियों से अप्रत्याशित रूप से मेल खाती दिखाई दे रही है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जून महीने में सूर्य की सतह से निकलने वाली ऊर्जा की लहरें पृथ्वी पर संचार, मौसम और मानव मनोविज्ञान को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में वृद्धि और तकनीकी नेटवर्क के प्रभावित होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।
इन सभी घटनाओं के बीच भारत को लेकर भी अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण में बदलाव के संकेत दिखने लगे हैं। बाबा वेंगा की भविष्यवाणी में यह उल्लेख था कि एक पूर्वी देश, जो अध्यात्म और संयम का प्रतीक है, वह पश्चिमी तकनीकी अतिरेक को संतुलित करने की दिशा में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा। यह अनुमान भारत की ओर इशारा करता है, जो आज के समय में तकनीक और अध्यात्म दोनों क्षेत्रों में सशक्त उपस्थिति बना चुका है। आने वाले महीनों में भारत की भूमिका वैश्विक मंच पर और अधिक निर्णायक हो सकती है।
साल 2025 के ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो गुरु ग्रह का गोचर भी एक अत्यंत संवेदनशील बिंदु पर है। गुरु को धर्म, नैतिकता और समाज के मार्गदर्शन से जोड़ा जाता है। ऐसे में जून महीने के बाद से विश्व भर में विचारधाराओं, नीतियों और सामाजिक आंदोलनों में एक निर्णायक मोड़ देखा जा सकता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह समय न केवल नई दिशा तय करने वाला होगा, बल्कि पूरी मानव सभ्यता को एक नई विचारधारा की ओर मोड़ सकता है।
इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह केवल एक खगोलीय संयोग है, या फिर वाकई कुछ ऐसा है जो इंसानी चेतना और वैश्विक स्थिरता के लिए निर्णायक साबित होने वाला है? समय के साथ इन सवालों के जवाब भी सामने आने लगेंगे। फिलहाल इतना तय है कि 7 जून 2025 केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक संभावित मोड़ है—ऐसा मोड़ जहां से आगे का रास्ता नया और अप्रत्याशित हो सकता है।
