हरिद्वार जमीन खरीद घोटाले में मुख्यमंत्री ने लिया कड़ा फैसला, दस अधिकारियों का निलंबन और विजिलेंस जांच के आदेश

देहरादून से बड़ी खबर सामने आई है जहां हरिद्वार की जमीन खरीद को लेकर सामने आए घोटाले में अब सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।…

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देहरादून से बड़ी खबर सामने आई है जहां हरिद्वार की जमीन खरीद को लेकर सामने आए घोटाले में अब सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सीधा एक्शन लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे मामले की जांच विजिलेंस से कराने के आदेश दे दिए हैं। इसके साथ ही हरिद्वार के जिलाधिकारी कमेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया गया है। इसी के साथ एक आईएएस और एक पीसीएस अफसर पर भी गाज गिरी है। कुल मिलाकर इस शुरुआती कार्रवाई में दस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। एक कर्मचारी की सेवा खत्म कर दी गई है और एक का सेवा विस्तार रोक दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि पूरे मामले की बारीकी से जांच की जाएगी ताकि यह पता चल सके कि इस घोटाले में कौन कौन लोग शामिल थे। सरकार की मंशा है कि कोई भी जिम्मेदार बच न पाए और जांच पूरी तरह पारदर्शी हो। इसलिए मुख्यमंत्री ने सतर्कता विभाग को पूरी रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है।

सरकार ने इस घोटाले में जिस जमीन का सौदा हुआ था उस बिक्री को भी रद्द करने के आदेश दे दिए हैं। साथ ही भूस्वामियों को जो पैसे दिए गए थे उनकी वसूली भी तय की गई है। मुख्यमंत्री ने उस वक्त के नगर आयुक्त वरुण चौधरी के कार्यकाल में नगर निगम हरिद्वार में किए गए सभी कामों का विशेष ऑडिट कराने को कहा है। ताकि देखा जा सके कि कहीं और भी तो कोई आर्थिक गड़बड़ी तो नहीं हुई थी।

इस पूरे मामले की शुरुआत साल 2024 में उस वक्त हुई थी जब राज्य में नगर निकाय चुनाव चल रहे थे। हरिद्वार नगर निगम में उस समय आईएएस अधिकारी वरुण चौधरी बतौर नगर आयुक्त तैनात थे। चुनाव की वजह से हरिद्वार में आचार संहिता लगी थी। लेकिन इसी दौरान हरिद्वार नगर निगम ने 33 बीघा जमीन खरीद ली। आज तक ये साफ नहीं हो पाया है कि यह जमीन किस काम के लिए खरीदी गई थी।

जांच में यह सामने आया कि जिस जगह की जमीन खरीदी गई थी वहां आसपास पहले से ही नगर निगम का कूड़ा डंप होता रहा है। इसीलिए उस जमीन की कीमत बाजार में बेहद कम थी। लेकिन नगर निगम और कुछ अफसरों ने मिलकर उसे कृषि भूमि से बदलवाया और 143 में दर्ज करवा दिया। फिर इस जमीन को सरकारी पैसे से पूरे अट्ठावन करोड़ में खरीद लिया गया।

यह मामला तब सामने आया जब हरिद्वार नगर निगम के चुनावों में बीजेपी की मेयर प्रत्याशी जीत गईं। इसके बाद धीरे धीरे यह पूरा मामला सामने आने लगा और धीरे धीरे यह राजनीतिक मुद्दा बन गया। आखिरकार यह खबर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक पहुंची और उन्होंने फौरन जांच के आदेश दे दिए। सचिव रणवीर सिंह चौहान को इस पूरे मामले की जांच सौंपी गई और उनकी रिपोर्ट के आधार पर अब यह सख्त कार्रवाई की गई है।