उत्तराखंड में दूसरी बार डीएम सस्पेंड, हरिद्वार की जमीन पर हुआ करोड़ों का घोटाला

देहरादून से बड़ी खबर सामने आई है जहां हरिद्वार की जमीन खरीद में हुई भारी गड़बड़ी का खामियाजा आखिरकार जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह को भुगतना पड़ा…

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देहरादून से बड़ी खबर सामने आई है जहां हरिद्वार की जमीन खरीद में हुई भारी गड़बड़ी का खामियाजा आखिरकार जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह को भुगतना पड़ा है. जमीन के इस सौदे में अनदेखी और लापरवाही करने के आरोप में डीएम को सस्पेंड कर दिया गया है. सरकार ने उन्हें कार्मिक और सतर्कता विभाग से अटैच कर दिया है.

हरिद्वार में नगर निगम की ओर से सराय इलाके में खरीदी गई जमीन को लेकर काफी वक्त से सवाल उठ रहे थे. करीब 33 बीघा की ये जमीन खरीदी गई थी लेकिन यह साफ नहीं था कि इसका इस्तेमाल किस काम के लिए होना था. हैरानी की बात ये थी कि जिस इलाके में ये जमीन ली गई थी वहां पहले से नगर निगम कूड़ा डंप करता आ रहा था.

स्थानीय लोगों को जब यह बात पता चली कि हजारों या लाखों में बिकने वाली जमीन को करोड़ों रुपये में खरीदा गया है तो मामला धीरे धीरे तूल पकड़ता गया. ये जमीन 58 करोड़ रुपये में खरीदी गई थी. फिर नगर निगम चुनाव हुए और बीजेपी की पार्षद चेयर पर काबिज हुईं.

चुनाव खत्म होने के बाद जैसे जैसे दस्तावेज सामने आते गए वैसे वैसे मामला गंभीर होता चला गया. लोगों के साथ साथ विपक्ष ने भी इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया. आम जनता के पैसों से इस तरह की खरीद पर सवाल खड़े होने लगे. बात सीधी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक जा पहुंची.

इसके बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए. आईएएस अफसर रणवीर सिंह चौहान को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई. जांच में सात अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे. जिनमें से चार को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका था. अब 3 जून को डीएम कर्मेंद्र सिंह के साथ ही तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी और पीसीएस अधिकारी अजयवीर को भी सस्पेंड कर दिया गया है.

उत्तराखंड में यह दूसरा मौका है जब किसी जिलाधिकारी को निलंबित किया गया हो. इससे पहले एन डी तिवारी के शासनकाल में पटवारी भर्ती घोटाले में पौड़ी के डीएम को हटाया गया था. अब हरिद्वार की इस जमीन खरीद ने एक बार फिर अफसरशाही की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.