देहरादून में रिश्वत लेते पकड़ा गया पटवारी, नोट निगलकर मिटाना चाहा सबूत, अस्पताल में सीटी स्कैन से लेकर अल्ट्रासाउंड तक करानी पड़ी जांच

देहरादून में रिश्वतखोरी के एक हैरान कर देने वाले मामले ने पूरे उत्तराखंड में सनसनी फैला दी है। विजिलेंस की टीम ने देहरादून के कालसी…

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देहरादून में रिश्वतखोरी के एक हैरान कर देने वाले मामले ने पूरे उत्तराखंड में सनसनी फैला दी है। विजिलेंस की टीम ने देहरादून के कालसी तहसील में तैनात पटवारी गुलशन हैदर को दो हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। लेकिन गिरफ्तारी के कुछ ही सेकंड बाद पटवारी ने जो हरकत की, उसने विजिलेंस अधिकारियों को भी चौंका दिया। पकड़े जाने के बाद उसने रिश्वत के चारों नोट, जो 500-500 के थे, बेहद फुर्ती से मुंह में डालकर चबाना शुरू कर दिया और पल भर में निगल गया। इससे पहले कि टीम उसे रोक पाती, पटवारी नोट पेट में पहुंचा चुका था। टीम ने बिना देर किए उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया।

इस पूरे मामले की शुरुआत एक शिकायत से हुई थी जो विजिलेंस के टोल फ्री नंबर 1064 पर दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता ने बताया था कि पटवारी उसके भाइयों के जाति प्रमाण पत्र और मूल निवास प्रमाण पत्र तैयार करने के बदले दो हजार रुपये की मांग कर रहा है और उसने पैसे तहसील कार्यालय में बुलाकर लेने को कहा है। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए विजिलेंस की टीम ने पूरी योजना तैयार की और 26 मई को तय स्थान पर ट्रैप ऑपरेशन चलाकर पटवारी को रंगे हाथों पकड़ा। लेकिन उस वक्त टीम भी यह नहीं समझ पाई कि आरोपी इस तरह सबूत को खत्म करने की कोशिश करेगा।

पैसे निगल जाने की घटना के बाद पटवारी को सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका सीटी स्कैन कराया गया। हालांकि, रिपोर्ट में कुछ भी साफ तौर पर नहीं दिखा। इसके बाद डॉक्टरों की सलाह पर उसका अल्ट्रासाउंड भी कराया गया, जिसकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है। विजिलेंस अधिकारी डॉक्टरों के साथ मिलकर उसकी सेहत पर नजर रख रहे हैं ताकि किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से समय रहते निपटा जा सके।

विजिलेंस ने पटवारी गुलशन हैदर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधन अधिनियम 2018) की धारा 7 और भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 238 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। अधिकारियों का कहना है कि भले ही मेडिकल जांच में नोट मिलने की पुष्टि न हो, लेकिन विजिलेंस के पास ऐसे ठोस सबूत हैं जिनके आधार पर आरोपी के खिलाफ अदालत में मामला मजबूती से रखा जा सकता है। इनमें रिश्वत लेते वक्त की वीडियो क्लिपिंग, ऑडियो रिकॉर्डिंग और केमिकल टेस्ट के नतीजे शामिल हैं।

पटवारी को 27 मई को कोर्ट में पेश किया गया, जिसके बाद उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अब वह देहरादून के जिला कारागार में बंद है। इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें भी फैल रही हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि पटवारी को जमानत मिल गई है। लेकिन विजिलेंस विभाग ने इन खबरों को पूरी तरह से झूठा और भ्रामक बताया है।

विजिलेंस विभाग ने आम जनता से अपील की है कि अगर किसी सरकारी कार्यालय में कोई कर्मचारी या अधिकारी रिश्वत मांगता है, तो इसकी सूचना सीधे विजिलेंस को दी जाए। इसके लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1064, व्हाट्सएप नंबर 9456592300 और ईमेल आईडी [email protected] उपलब्ध है। विभाग का कहना है कि राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी रहेगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उत्तराखंड में विजिलेंस की कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि ठोस इरादों के साथ की जा रही है। वहीं, पटवारी की यह हरकत जहां लोगों के लिए चर्चा और हंसी का विषय बनी हुई है, वहीं यह भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य में चल रही मुहिम के लिए एक अहम उदाहरण भी बन चुकी है।