यूपी के बलरामपुर में नरेंद्र ने रेप के बाद बच्ची के गले में 8 इंच की लोहे की कील ठोक दी। गंभीर व्यवस्था में पुलिस और परिवारजन उसे केजीएमयू, ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने बच्ची की कील को जटिल ऑपरेशन के बाद निकाल दिया और उसे नया जीवनदान दिया।
डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची की तबीयत अब खतरे से बाहर है। जिला बलरामपुर निवासी 7 साल की बच्ची के साथ 15 मई को रेप की घटना हुई थी। दरिंदों ने रेप के बाद बच्ची के गले में ढोढ़ी के नीचले हिस्से में कील ठोंक दी थी। खून से लथपथ अवस्था में परिवारीजन बच्ची को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद बच्ची को जिला अस्पताल रेफर कर दिया था।
जिला अस्पताल के डॉक्टर ने बच्ची को केजीएमयू ट्रामा सेंटर में रेफर कर दिया। जल्दबाजी में परिवारजन बच्ची को लेकर 16 मई की रात में ट्रामा सेंटर लेकर उसे पहुंचे। ट्रामा सेंटर में रेजीडेंट डॉक्टर समय, डॉ. आशुतोष और डॉ. प्रज्जवल ने बच्ची को देखा।
ट्रॉमा सर्जरी विभाग के डॉ. वैभव जायवाल की टीम ने मरीज को भर्ती किया। जांचें कराईं। जांच में पाया कि आठ सेंटीमीटर निकुली कील गले के रास्ते से दिमाग में धंस गई थी। डॉक्टरों ने ऑपरेशन का फैसला किया। इसके लिए ईएनटी व न्यूरो सर्जरी विभाग डॉक्टरों को भी जुटाया।
डॉक्टर ने ऑपरेशन से पहले मरीज की तबीयत को स्थिर करने का भी फैसला किया इसके लिए बच्चों को खून भी चढ़ाया गया और जरूरी दवाई दी गई। इसके बाद ट्रॉमा सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी व डॉ. समीर मिश्र ने ऑपरेशन की रूपरेखा तैयार की।
उसके बाद डॉ. समीर मिश्र के साथ डॉ. वैभव जायसवाल, डॉ. यादवेंद्र, डॉ. लोकेश, डॉ. एकता, डॉ. अर्पिता, डॉ. अंजना, डॉ. आकाश, डॉ. विशाल समेत अन्य डॉक्टरों के सहयोग से ऑपरेशन हुआ।
