देश में पहली बार ऐसा हुआ है. जब दिव्यांगजनों को उनका हक सच में मिला है. अब उन्हें भी सरकारी मकानों में रहने का हक मिलेगा. सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ये तय किया है कि अब हर महीने सरकारी आवासों में जो भी घर खाली होंगे. उनमें से चार प्रतिशत दिव्यांग लोगों के लिए सुरक्षित रखे जाएंगे. इस फैसले के बाद दिव्यांग समाज में जबरदस्त खुशी का माहौल है.
अब तक होता ये था कि जब सरकारी मकान बांटे जाते थे. तो दिव्यांग कर्मचारी अक्सर पीछे रह जाते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब उन्हें भी बराबरी का हक मिलेगा. और मकान पाने में प्राथमिकता दी जाएगी. सरकार की तरफ से ये ऐलान आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने किया है.
नई व्यवस्था के तहत अब हर महीने जब सरकारी मकान खाली होंगे. तो उनमें से कुछ घर दिव्यांगों के लिए अलग रखे जाएंगे. और उन्हें मकान देने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. जो पूरी तरह से पारदर्शी और बिना किसी भेदभाव के चलेगी.
इसके लिए सरकार ने कुछ शर्तें भी तय की हैं. मकान उन्हीं दिव्यांग कर्मचारियों को मिलेंगे जो केंद्र सरकार में काम कर रहे हों. और जिनके पास विकलांगता से जुड़ा सरकारी पहचान पत्र हो. इसके साथ ही जिन लोगों के पास यूनिक डिसएबिलिटी आईडी यानी यूडीआईडी कार्ड है. वो सीधे सरकार की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.
हर श्रेणी के मकानों में चाहे वो सबसे छोटे टाइप वन के हों. या बड़े टाइप फाइव के. हर जगह ये आरक्षण लागू होगा. जो भी दिव्यांग कर्मचारी इस सुविधा का फायदा लेना चाहते हैं. उन्हें पहले यूडीआईडी कार्ड अपनी प्रोफाइल में अपलोड करना होगा. फिर उन्हें विभाग से ये कार्ड वेरिफाई कराना होगा. उसके बाद वो दिव्यांग कैटेगरी में आवेदन कर सकेंगे.
सरकार की ये पहल दिव्यांगजनों को न सिर्फ घर देगी. बल्कि समाज में बराबरी का एहसास भी कराएगी. लंबे वक्त से जो मांग उठ रही थी. वो अब जाकर पूरी हुई है. और ये एक ऐसा फैसला है जो हजारों लोगों की जिंदगी बदल सकता है.
