लोहाघाट (चंपावत):
सरकारी दफ्तरों में फाइलें गुम होना आम बात है, लेकिन उत्तराखंड के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने इस बार फाइल खोजने की जिम्मेदारी सीधे देवताओं पर डाल दी है! जी हां, राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, लोहाघाट के अधिशासी अभियंता ने बाकायदा आधिकारिक पत्र जारी कर सभी कर्मचारियों को आदेश दिया है कि वे एक-एक मुट्ठी चावल लाकर मंदिर में चढ़ाएं, ताकि खोई हुई सेवा पुस्तिका (सर्विस बुक) को देवता ढूंढ़ निकालें।
पूरा मामला फिल्मी लगता है, लेकिन यह एक 16 मई 2025 को जारी किया गया सरकारी आदेश है, जिसमें अपर सहायक अभियंता की सर्विस बुक गुम होने की बात स्वीकार करते हुए उसे खोजने के लिए तांत्रिक उपाय सुझाए गए हैं।
क्या लिखा है पत्र में?
- अपर सहायक अभियंता की सेवा पुस्तिका लापता है।
- खोजबीन के बाद भी नहीं मिल रही, अधिकारी तनाव में हैं।
- समाधान: सभी कर्मचारी 17 मई को अपने-अपने घर से एक मुट्ठी चावल लाकर विभागीय देवता यज्ञनारायण मंदिर में अर्पित करें।
- उद्देश्य: “समस्या का समाधान हो सके।”
प्रशासनिक टोटका या आधिकारिक मज़ाक?
जिस विभाग का काम पुल बनाना, सड़कें सुधारना और ठेके की निगरानी करना है, वह अब तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक की राह पर चल पड़ा है। क्या आने वाले समय में सड़क धंसने या पुल गिरने की स्थिति में भी यज्ञ और चावल चढ़ाने से समाधान होगा?
लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल
- क्या यह आदेश उत्तराखंड सरकार की कार्यशैली का प्रतिबिंब है?
- यदि कोई दस्तावेज गुम हो जाए तो उसे खोजने की जिम्मेदारी तंत्र-मंत्र पर क्यों?
- क्या विभागीय लापरवाही पर पर्दा डालने के लिए अब धर्म और आस्था को ढाल बनाया जाएगा?
कर्मचारियों में नाराज़गी
सूत्रों के अनुसार, कई कर्मचारियों ने इस आदेश को लेकर अस्वीकार्यता और असहजता जताई है। वे मानते हैं कि यह न केवल विभागीय गरिमा के खिलाफ है बल्कि धार्मिक आस्था का भी मज़ाक बनाता है।
लोक निर्माण विभाग का यह पत्र सरकारी कामकाज के प्रति लापरवाही, अव्यवस्था और अवैज्ञानिक सोच का उदाहरण बन गया है। यदि ऐसे ही फैसले लिए जाते रहे, तो आने वाले समय में इंजीनियरिंग कॉलेजों में वास्तुशास्त्र, रत्नधारण और टोटका विज्ञान पढ़ाया जाने लगेगा।
सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों में तत्काल जांच कर संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलबी करे, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति “टोटका आदेश” को सरकारी दस्तावेज़ की तरह प्रयोग न कर सके।
