पहाड़ी बकरी ‘‘चौगरखा’’ बकरी पहाड़ की बेहतर नश्ल,किसानों के प्रशिक्षण में बोले वैज्ञानिक

अल्मोड़ा: पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग, पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय, गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विष्वविद्यालय, पन्तनगर के वैज्ञानिकों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद,…

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अल्मोड़ा: पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग, पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय, गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विष्वविद्यालय, पन्तनगर के वैज्ञानिकों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय पषु आनुवंशिकी ब्यूरों द्वारा वित्त पोशित की ओर से मंगलवार को कृषि विज्ञान केन्द्र,मटेला, अल्मोड़ा पर एक दिवसीय प्रषिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बकरी पालन के दौरान आने वाली समस्याओं और उनके निराकरण की जानकारी दी गई। उत्तराखण्ड के देशी नस्ल जागरूकता एवं एक दिवसीय प्रषिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ पन्तनगर विश्वविद्यालय के पशु आनुवंषिक एवं प्रजनन विभाग के प्राध्यापक डा. सीवी सिंह ने किया।
उन्होने जनपद अल्मोड़ा की नवीन पंजीकृत चौगरखा बकरी पालकों और परियोजना टीम का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि चौगरखा नस्ल की बकरी पालन में बेहत्तर प्रबन्धन से बकरी पालकों की आय में वृद्वि कर सकते है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में 45 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रतिभाग किया। परियोजना अधिकारी डा. बी.एन. साही ने परियोजना के उद्देश्यों और चौगरखा बकरी के प्रजनन एवं प्रबन्धन की जानकारी दी। डा. उमा नौलिया, विशय वस्तु विषेशज्ञ पशु विज्ञान ने बकरियों के पोशण तथा उनमें होने वाली बीमारियों से बचाव की जानकारी दी। साथ ही साथ डा. आरके शर्मा, प्राध्यापक एवं प्रभारी अधिकारी, कृशि विज्ञान केन्द्र मटेला ने बकरी पालकों की आय वृद्वि हेतु जानकारी के साथ-साथ कृषि विज्ञान केन्द्र के महत्व की भी जानकारी दी।
डा. सी.बी. सिंह, प्राध्यापक, पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग द्वारा बताया गया कि चैगरखा बकरी की नस्ल को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय पषु आनुवंशिकी ब्यूरो करनाल से उत्तराखण्ड की विशिष्ट नस्ल की रूप में अधिकारिक तौर पर मान्यता दिलाने में कामयाब रहा। इस नस्ल को आईसीएआर- आईवीआरआई और अन्य योगदानकर्ताओं के साथ सह आवेदक के रूप में 7 जनवरी, 2025 को पंजीकृत किया गया। डा. सी.वी. सिंह, डा. आर. एस बरवाल और डा. बी. एन. साही के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम इस प्रयास में शामिल थी। मुख्य रूप से अल्मोड़ा के भैसियाछाना, घौलादेवी, घौलछीना, नैगाव, लमगड़ा और बागेश्वर व पिथौरागढ़ जिलों के आस-पास यह प्रजाति पायी जाती है। यह नस्ल आकार में छोटी होती है चौगरखा बकरियों का रंग काला, हल्का कत्थई एवं सफेद होता है
पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग, पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय, गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विष्वविद्यालय, पन्तनगर के पषु आनुवंषिकी एवं प्रजनन विभाग की टीम द्वारा 2005 से लगातार इस नस्ल को पंजीकृत कराने के लिए काम कर रही थी जून, 2024 में एन.बी.ए.जी. आर. करनाल की ओर से नियुक्त वैज्ञानिकों की टीम ने चौगरखा बकरी के प्रजनन क्षेत्र का दौरा किया इसके बाद इस नस्ल का पंजीकरण हुआ।