समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड की अनुसंधान रिपोर्ट आज जारी की गई है। जिसमें बिल को इस साल के आखिर तक लागू किया जाएगा और यूसीसी बिल को लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।
यूसीसी बिल में शादी और तलाक, उत्तराधिकार, लिव इन रिलेशनशिप के नियमों को लेकर चर्चा की गई है। इस अनुसंधान रिपोर्ट को 4 खंडों में बाँटा गया है और इसके सार्वजनिक करने का उद्देश्य भी यही है कि इसे लागू करने से पहले नए कानूनों के बारे में राज्य की जनता अच्छी तरह से समझ ले। इसके खंड तीन में ‘सहवासी संबंध’ के बारे में बताया गया है। पेज 168 से लेकर 171 तक लिव-इन के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है ।
यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल सहवासी यानी लिव इन रिलेशनशिप को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में है। देश में बढ़ते इस चलन पर सरकार ने गंभीरता से विचार किया है। क्योंकि कई ऐसी घटनाएं देखन में आई हैं कि बिना शादी के आपसी सहमति से रहने वाले जोड़ों के बीच आपसी जिम्मेदारी, संपत्ति विवाद, संतान उत्पत्ति और फिर उत्तराधिकार को लेकर विवाद हुए हैं।
यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप में इसको लेकर कई नियम बनाए गए हैं। जिसमें सबसे पहला नियम है कि अब लिव इन में रहने वालों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। 18 से 21 आयु वर्ग के जोड़े को लिवइन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन कराने के लिए लड़का-लड़की के माता-पिता को भी सूचना देनी होगी। माता-पिता की अनुमति के बाद ही लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।
अगर लिव इन में रहने वाले जोड़े की उम्र 21 वर्ष से अधिक है तो उन्हें भी रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, लेकिन उनके लिए माता-पिता की सहमति की जरूरत नहीं होगी।
लिव इन में रहने वाले कपल के लिए अपने रिलेशन को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया जा सकता है। लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों के 30 दिन के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना होगा।यदि कपल ऐसा नहीं करता है तो उस दशा कैद औ जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।
