लोक सेवा आयोग में पारदर्शिता की शुरुआत आयोग के सदस्यों के चयन से हो : रवीन्द्र जुगरान

editor1
2 Min Read

देहरादून। भाजपा नेता रवीन्द्र जुगरान ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि आयोग में गोपनीयता, शुचिता, पारदर्शिता व निष्पक्षता की शुरुआत आयोग के सदस्यों के चयन से ही प्रारंभ होनी चाहिए, लेकिन सदस्यों के चयन में ही गड़बड़ी हो रही है।

new-modern

भाजपा नेता रवीन्द्र जुगरान ने कहा कि आयोग के अनेक सदस्य आयोग के गठन के बाद से संविधान के अनुच्छेद 319 का उल्लंघन कर मनोनीत होते रहे हैं। आयोग एसडीएम, डीएसपी और जूनियर जजों का चयन करता है लेकिन आयोग सदस्यों के चयन की प्रक्रिया क्या है यह स्पष्ट नहीं है। कहा कि किसी विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का भी चयन एक नियत प्रक्रिया से होता है किन्तु प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षाओं का जिम्मा और चयन का जिम्मा जिन सदस्यों पर है उनका चयन कौन सी प्रक्रिया से होता है?

कहा कि अनुच्छेद 319 में स्पष्ट उल्लेख है कोई भी व्यक्ति जो किसी जो केंद्र या राज्य सरकार के अधीन कार्यरत है वह वहां से बिना इस्तीफा दिये बना आयोग का सदस्य नहीं बन सकता है और राज्य लोक सेवा आयोग या संघ लोक सेवा आयोग में एक बार सदस्य या अध्यक्ष रहने के उपरांत किसी भी केंद्र व राज्य सरकार के विभाग में नौकरी नहीं कर सकता है परन्तु ऐसा नहीं हो रहा है।

मांग उठाई कि उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग को दुरुस्त करने की कवायद आयोग के सदस्यों से ही शुरू होनी चाहिए। आयोग के सभी सदस्य आयोग को कितना समय देते हैं आयोग के सदस्य जब से मनोनीत हुए हैं उनसे दिनों और घंटों का हिसाब लेना जरूरी है।