भेदभाव की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करें कॉलेज: दिल्ली विश्वविद्यालय

Newsdesk Uttranews
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नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने सभी कॉलेजों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय कैंपस व कैंपस से जुड़े किसी भी संस्थान में जाति आधारित भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा सभी कॉलेजों को एक औपचारिक पत्र भी भेजा गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित सभी कॉलेजों को भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि यदि जाति आधारित भेदभाव का कोई मामला सामने आता है तो कॉलेज प्रशासन उस पर तुरंत आवश्यक कार्रवाई करें।

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दिल्ली विश्वविद्यालय में कॉलेजों से कहा है कि सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संबंधित कॉलेजों में एससी, एसटी वर्ग से आने वाले छात्रों अथवा शिक्षकों के साथ किसी भी स्तर पर अस्वीकार्य व्यवहार नहीं होना चाहिए। विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार ने उच्च शिक्षा में जाति आधारित भेदभाव की रोकथाम पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के निर्देश वाले पत्र कॉलेजों को संलग्न किए हैं।

यूजीसी ने भेदभाव की शिकायतों को सुनने के लिए एक समिति का गठन करने को कहा है। साथ ही यूजीसी ने यह भी सुझाव दिया है कि विश्वविद्यालय व कॉलेज जातिगत भेदभाव की शिकायतें दर्ज करने के लिए अपनी वेबसाइट पर एक पेज विकसित कर सकते हैं। इसके लिए रजिस्ट्रार कार्यालय में शिकायत रजिस्टर भी रखा जा सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय एवं यूजीसी दोनों का ही मानना है कि यदि ऐसी कोई घटना अधिकारियों के संज्ञान में आती है तो दोषी व्यक्ति के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।

दरअसल यूजीसी के सख्त निर्देश है कि हर कॉलेज में एससी, एसटी और ओबीसी सेल की स्थापना की जाए। एडमिशन की प्रक्रिया को देखने के लिए मोनिटरिंग कमेटी बनाई जाए, इसके अलावा छात्रों, कर्मचारियों व शिक्षकों की समस्याओं के समाधान करने हेतु ग्रीवेंस कमेटी बने।

उधर दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों के एक बड़े समूह ने बीते 5 वर्षों के दौरान किए गए दाखिलों की जांच कराने की भी मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि इससे पता चलेगा कि कॉलेजों ने अपने यहां स्वीकृत सीटों से ज्यादा एडमिशन दिया हुआ जबकि उसकी एवज में आरक्षित सीटों को नहीं भरा जाता।

अपनी इसी मांग को लेकर फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ( दिल्ली विश्वविद्यालय ) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र भी लिखा है। इसमें मांग की गई है कि शैक्षिक सत्र 2022–23 में एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने से पहले पिछले पांच वर्षों के आंकड़े मंगवाकर उनकी जांच करवाई जाए।

फोरम के चेयरमैन और दिल्ली यूनिवर्सिटी की एडमिशन कमेटी के पूर्व सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने कहा कि डीयू कॉलेजों में हर साल स्वीकृत सीटों से 10 फीसदी ज्यादा एडमिशन होते हैं। उन्होंने बताया है कि कॉलेज अपने स्तर पर 10 फीसदी सीटें बढ़ा लेते हैं। बढ़ी हुई सीटों पर अधिकांश कॉलेज आरक्षित वर्गों की सीटें नहीं भरते।

दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत लगभग-80 विभाग हैं जहां स्नातकोत्तर डिग्री, एमफिल, पीएचडी, सर्टिफिकेट कोर्स, डिग्री कोर्स आदि कराए जाते हैं। इसी तरह से दिल्ली विश्वविद्यालय में तकरीबन 79 कॉलेज हैं, जिनमें स्नातक, स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती है। इन कॉलेजों व विभागों में हर साल स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर 70 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं के प्रवेश होते हैं।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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