क्या आपको भी है ‘कोरोना-सोमेनिया’, यहाँ जानिए।

नई दिल्ली।  कोरोना महामारी का गंभीर दुष्प्रभाव लोगों के शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह के सेहत पर देखा जा सकता है। पोस्ट कोविड समस्याओं में…

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नई दिल्ली।  कोरोना महामारी का गंभीर दुष्प्रभाव लोगों के शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह के सेहत पर देखा जा सकता है। पोस्ट कोविड समस्याओं में लोगों के हृदय और फेफड़ों पर गंभीर प्रभाव के साथ कई लोगों में मानसिक तौर पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड के कारण बहुत से लोगों में अनिद्रा और अवसाद की भी दिक्कतें सामने आ रही हैं। कोरोना के कारण लोगों में बढ़ी अनिद्रा की समस्या को विशेषज्ञों ने ‘कोरोना-सोमेनिया’ का नाम दिया है।

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डॉक्टरों के मुताबिक लगभग हर उम्र के लोगों में इस तरह की समस्या देखने को मिली है। महिलाएं, फ्रंटलाइन कार्यकर्ता से लेकर कोविड-19 रोगी, डॉक्टर और देखभाल करने वाले लोगों में भी कोरोना-सोमेनिया के मामले देखे जा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस महामारी ने लोगों के नींद के चक्र को प्रभावित कर दिया है जिसका असर दैनिक जीवन के कामकाज पर भी देखने को मिल रहा है। आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोना महामारी को सिर्फ इसके लक्षणों तक ही सीमित करके रखना सही नहीं है। यह कई अन्य तरीकों से भी लोगों की सेहत को प्रभावित करने वाला संक्रमण है। कोरोना-सोमेनिया ऐसी ही एक गंभीर समस्या है, जिसके मामले पिछले दिनों काफी तेजी से बढ़े हैं। कोरोना-सोमेनिया, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह समस्या इनसोमेनिया यानी अनिद्रा और नींद की अन्य समस्याओं से जुड़ी हुई है। जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल स्लीप मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार इस महामारी के कारण लगभग 40 फीसदी लोगों ने अनिद्रा और नींद से जुड़ी तमाम प्रकार की समस्याओं का अनुभव किया।

डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के कारण समाज में बने माहौल का सीधा असर लोगों के मस्तिष्क पर देखा जा रहा है। कोरोना-सोमेनिया के शिकार लोगों को नींद न आने या नींद के बार-बार टूट जाने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा कुछ लोगों में इस प्रकार की दिक्कतें भी देखी गई हैं।

  • सोने में कठिनाई
  • सरदर्द, चिंता
  • आधी रात को जाग जाना
  • आराम महसूस न होना
  • तनाव और चिड़चिड़ापन
  • एकाग्रता की कमी
  • ऊर्जा की कमी

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोना-सोमेनिया मुख्यरूप से कोरोना के कारण समाज में फैली असहजता और तनाव का परिणाम है। लॉकडाउन के समय बिगड़ी दिनचर्या को भी इसका एक कारण माना जा सकता है। बीमारी को लेकर भय और चिंता के माहौल ने भी कोरोनासोमेनिया को जन्म दिया है। इसके अलावा कोरोना के समय में सभी लोगों का स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है, इस कारण भी स्लीप साइकिल यानी सोने और जागने की दिनचर्या काफी प्रभावित हुई है।

वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि कोरोना से रिकवरी के बाद लोगों में अनिद्रा की समस्या भी देखने को मिल रही है। इसके लिए बढ़े हुए स्क्रीन टाइम को मुख्य कारक के रूप में देखा जा सकता है। इस तरह की दिक्कतों से बचने के लिए शाम 5 बजे के बाद किसी भी तरह के स्क्रीन जैसे मोबाइल, लैपटॉप, टीवी अदि से दूरी बना लेनी चाहिए। पेड़-पौधों और हरियाली को देखें, इससे आंखों को सुकून मिलता है और स्क्रीन के बढ़े हुए समय के साइड-इफेक्ट्स को कम किया जा सकता है। कोरोनासोमेनिया से बचने के लिए योग और व्यायाम के साथ स्वस्थ आहार का सेवन भी बहुत आवश्यक माना जाता है।