फेफड़ों को बेहद तेजी से संक्रमित करता है delta plus variant

  नई दिल्ली: नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के अध्यक्ष डॉक्टर एनके अरोरा का कहना है कि कोरोना के बाकी वैरिएंट के मुकाबले, डेल्टा…

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नई दिल्ली: नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के अध्यक्ष डॉक्टर एनके अरोरा का कहना है कि कोरोना के बाकी वैरिएंट के मुकाबले, डेल्टा प्लस वैरिएंट फेफड़ों तक जल्दी और आसानी से पहुंच जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ये वैरिएंट ज्यादा संक्रामक है या इससे गंभीर कोरोना हो सकता है।

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स्वास्थ्य मंत्रालय की माने तो देश के अबतक 12 राज्यों में delta plus variant के 51 मामले सामने आ गए हैं, जिसमें महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा दर्ज किए गए हैं। एनटीएजीआई के कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोरा ने कहा कि हालांकि डेल्टा प्लस वैरिएंट से फेफड़ो को नुकसान पहुंचता है, इसका कोई प्रमाण नहीं है।

डॉ, अरोरा ने बताया कि delta plus variant के प्रभाव पर स्पष्टता तब आएगी, जब इसके ज्यादा मामले सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि यह रोग आमतौर उन सभी लोगों में हल्का होता है, जो जिन्हें टीके की एकल या दोहरी खुराक मिली है। हमें इस पर नजदीकी से निगरानी रखनी होगी, तभी इसके संक्रमण के बारे में उचित जानकारी मिलेगी।

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डॉक्टर अरोरा ने आगे कहा कि delta plus variant के और भी मामले अभी मौजूद हो सकते हैं, क्योंकि इस दौरान मरीज में कोरोना के लक्षण नहीं होते, इसलिए इस वैरिएंट के बारे में जानकारी नहीं मिलती लेकिन ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें मरीज में कोविड 19 के लक्षण तो नहीं है लेकिन उनमें डेल्टा प्लस वैरिएंट पाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि देश में अच्छी बात यह है कि इस वैरिएंट को लेकर जीनोम सिक्वेंसिंग पहले से ही की जा रही है।

उन्होंने आगे कहा कि इस वैरिएंट को फैलने से रोकना है तो वैक्सीनेशन को और तेज करना होगा। हालांकि उन्होंने आगे यह भी कहा कि डेल्टा प्लस वैरिएंट तीसरी लहर का कारण बनेगा, ये कह पाना अभी जल्दबाजी होगा। डॉक्टर अरोरा ने आगे कहा कि देश में अभी भी कोरोना की दूसरी लहर जारी है और पिछले आठ से दस दिनों से दैनिक मामले 50 हजार के आसपास ही आ रहे हैं। 

उन्होंने आगे कहा कि अगर हम वैक्सीनेशन को तेज कर देंगे, तो तीसरी लहर की संभावना कम हो जाएगी। उन्होंने आगे यह भी कहा कि कोरोना की वैक्सीन के साथ-साथ मास्क लगाना और दो गज की दूरी बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है।