Forest fire- अल्मोड़ा में 18 स्थानों पर लगी है आग, विभाग की योजनाएं नहीं हुई कारगर

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा, 03 मार्च 2021- अल्मोड़ा जिले में 18 स्थानों पर आग (Forest fire) लगी है। पूरे जिले का वातावरण धुंध के आगोस में है। विभाग की कार्ययोजनाएं धरी की धरी रह गई है। हालत यह है कि इस बार के फायर सीजन में दो लोगों की मौत हो गई है। एक महिला झुलस गई हैं और घास के कई लूठे आग (Forest fire) में स्वाहा हो गए हैं तो आधा दर्जन मवेशी भी दावानल की भेंट चढ़ चुके हैं।

Forest fire

विभाग ने कार्यालयों में जो योजनाएं बनाई वह कागजी ही साबित हुई है। क्योंकि विभाग के कर्मी भी कई बार प्रभावित क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं या काफी देर बाद पहुंच रहे हैं। कई स्थानों में जंगल दो दो बार दहक चुके हैं। तो वनों से घिरे क्षेत्रों में लोग वनाग्नि (Forest fire) की आबादी क्षेत्रों में घुसने की आशंका से रात भर सो नहीं पा रहे हैं।

हालांकि विभाग के अनुसार वनाग्नि (Forest fire) से निबटने के लिए 100 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं। एक क्रू स्टेशन में चार लोगों की ड्यूटी लगी हुई है। आपदा प्रबंधन विभाग भी इससे जोड़ा गया है लेकिन यह पूरी योजना केवल आग लगने की सूचना का आदान प्रदान तक ही सीमित हैं।

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वनाग्नि नियंत्रण पर यह कारगर नहीं हो पा रहा है। गावों में वन रक्षक की नियुक्ति करने की मांग इस बार भी जोर-शोर से उठी थी लेकिन उस पर अमल इस बार भी नहीं हुआ। अब तक का घटनाक्रम 2016 के फायर सीजन की याद दिला रहा है।

अप्रैल माह के तीन दिनों की ही बात करें तो द्वाराहाट, कसारदेवी, ताड़ीखेत, स्यालीधार, दौलाघट, मजखाली सहित कई क्षेत्रों से आग (Forest fire) लगने की सूचनाएं सामने आई। आग इतनी विकराल थी कि मिनटों में जंगल का एक बड़ा हिस्सा खाक होने की खबरे आने लगी थी।

ईड़ा गावं में तो गांव वालों ने आधी रात तक गांव की सीमा में खड़े रह कर गुजारी रात 11 बजे यहां आग पर काबू पाया गया। इसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी जंगल की आंग से भारी नुकसान की सूचनाएं सामने आई है। शुक्रवार को भिकियासैंण में एक महिला आग बुझाने के दौरान झुलस गई उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया। इस सीजन में मवेशियों को भी नुकसान पहुंचा है।

जैवविविधता और वन संपदा की तो बात हीं नहीं करें। यह तो दावानल के साथ ही पूरी तरह खाक हो गई हैं। लमगड़ा क्षेत्र में सास बहु भी दावानल की चपेट मे आकर झुलसी बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई। जानकारों का कहना है कि विभाग यदि अभी भी कागजी योजनाओं में समय बिताता रहा और कारगर कदम नहीं उठाए तो आने वाले दो महिनों में जंगल की आग की घटनाएं बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं।

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