समाज को दिशा दिखाने में नई पीढ़ी के भविष्य को सजाने संवारने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है लेकिन कुछ शिक्षक अपनी शर्मनाक हरकतों की वजह से गुरु शिष्य के रिश्तो को कलंकित कर रहे हैं।
देहरादून के सहसपुर क्षेत्र में निजी स्कूल के शिक्षक ने छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें की जिसके बाद स्कूल प्रबंधन में शिकायत पर आरोपी शिक्षक के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की।
ऐसे में छात्राओं को बाल आयोग से शिकायत करनी पड़ी। बालिकाओं ने कहा कि हम आयोग को एक बुरी बात बताना चाहते हैं। यह हमारे स्कूल की घटिया हरकत है। स्कूल के शिक्षक ने हमारे साथ कई बार अश्लील हरकतें की।
शिक्षक हमारे निजी अंगों को गलत नीयत से छूते हैं, जब हमने इस पर आपत्ति जताई तो शिक्षक ने फेल करने की धमकी दी। सहसपुर के निजी स्कूलों की नौवी और दसवीं की छात्राओं ने पत्र भेजकर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग से इस बारे में शिकायत किया। आयोग ने स्कूल के प्रिंसिपल शिक्षक को आयोग में पेश होने के लिए कहा है।
छात्राओं का कहना है कि कुछ अन्य छात्राओं ने इससे पहले शिक्षक की शिकायत की थी लेकिन शर्म के कारण किसी ने इस बात को आगे नहीं बढ़ाया। जब उन्होंने प्रिंसिपल और मैडम से इस बारे में शिकायत की तो उन्होंने उल्टा उन्हें ही धमका कर चुप कर दिया।
इसके साथ ही यह भी कहा कि कोई जांच हुई तो ये कहना कि यह झूठी घटना है। छात्राओं ने घर में इसकी जानकारी दी तो अभिभावकों ने प्रिंसिपल से इस बारे में बात बताई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले में पीड़ित छात्राओं को चुप रहने और मामले को दबाने के लिए मजबूर किया गया।
छात्राओं का आरोप है कि सारा स्टाफ उस शिक्षक को बचाने में लगा है। लिहाजा आयोग अपने स्तर से इसकी गुप्त जांच करवाकर सख्त कार्रवाई करे। बीते माह आयोग को प्राप्त हुए इस पत्र में यह भी लिखा है कि डर के कारण वह अपना नाम जाहिर नहीं कर सकती हैं।
मामले में उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सचिव एसके बरनवाल ने कहा कि बाल आयोग को छात्राओं की लिखित शिकायत प्राप्त हुई है। आयोग ने सीईओ को जांच कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं। संबंधित प्रिंसिपल, शिक्षक को आयोग में तलब किया है। पुलिस को जांच के निर्देश दिए गए हैं।
