यूरोप में एक ऐसा मामला सामने आया है जो स्पर्म डोनेशन के नियमों पर कई सवाल खड़े कर रहा है। एक स्पर्म डोनर की वजह से कम से कम सड़सठ बच्चे पैदा हुए। जिनमें से दस को कैंसर हो चुका है। यह स्पर्म डोनर अपनी स्पर्म क्लीनिकों को दो हजार आठ से दो हजार पंद्रह के बीच सप्लाई करता रहा। जिससे आठ अलग-अलग यूरोपीय देशों में बच्चे पैदा हुए। बाद में पता चला कि इस व्यक्ति के जीन में TP53 नाम का एक दुर्लभ म्यूटेशन था जो कैंसर पैदा करता है।
TP53 जीन में बदलाव होने पर इंसान को कई तरह के कैंसर का खतरा होता है। जिनमें नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा और ल्यूकेमिया जैसी बीमारियां शामिल हैं। जिन बच्चों को यह म्यूटेशन मिला, उनमें से कुछ को यह बीमारी हो चुकी है। फ्रांस के रुआन यूनिवर्सिटी अस्पताल की बायोलॉजिस्ट ने कहा कि स्पर्म डोनर्स से पैदा होने वाले बच्चों की संख्या पर सीमा लगानी चाहिए। क्योंकि हर व्यक्ति के इतने बच्चे नहीं होते। वे यह भी बताती हैं कि सभी डोनर्स की पूरी जीन जांच करना संभव नहीं है। लेकिन इस तरह की खतरनाक बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। यह मामला तब सामने आया जब दो परिवारों ने अपनी फर्टिलिटी क्लीनिक से संपर्क किया। और बताया कि उनके बच्चों को TP53 म्यूटेशन से जुड़ा कैंसर हो चुका है। जांच के बाद यूरोपियन स्पर्म बैंक ने इस बात की पुष्टि की कि कुछ डोनर्स के स्पर्म में यह खतरनाक जीन मौजूद था।
