वीपीकेएएस हवालबाग में आयोजित हुआ 51वां कृषि मेला,काश्तकारों से खेती को आजीविका बनाने की अपील

अल्मोड़ा:: भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र हवालबाग में शुक्रवार को “विकसित कृषि विकसित राष्‍ट्र” थीम पर आधारित 51वें कृषि विज्ञान मेले…

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अल्मोड़ा:: भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र हवालबाग में शुक्रवार को “विकसित कृषि विकसित राष्‍ट्र” थीम पर आधारित 51वें कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया गया।


मेले का शुभारम्‍भ परिषद गीत से किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय राज्यमंत्री अजय टम्‍टा थे।
उन्‍होंने कहा कि यह संस्‍थान मनुष्‍य की आवश्‍यकता के अनुरूप अत्‍याधुनिक तकनीकें, नकदी फसलों, मक्‍का, मंडुआ इत्‍यादि पर्वतीय फसलों की उन्‍नतशील प्रजातियों का विकास करने में सतत प्रयासरत है।


टम्टा ने कहा यदि आज का युवा बंजर भूमि को उपजाउ भूमि में बदलकर रोजगार के अवसर ढूंढेगा तो उसे वास्‍तव में योग और आसन करने की आवश्‍यकता नहीं पडे़गी। वर्तमान में कृषि उद्यमियों से स्‍वयं मेहनत और खेती बाड़ी कर कर्तव्‍य परायण होने की आवश्‍यकता है तभी हम विकसित भारत 2047 के लक्ष्‍य को पूरा करने में सक्षम होंगे।
उन्‍होंने कृषकों से अपील की कि ऐसे कृषि संस्‍थानों का लाभ लेकर अपने जीवन स्‍तर को अच्‍छा बनाने का प्रयास करें।


इससे पहले संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी कान्त द्वारा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों, आगन्तुकों व कृषकों का स्वागत करते हुए बताया कि संस्थान प्रत्‍येक वर्ष दो कृषि विज्ञान मेलों का आयोजन करता है।एक खरीफ मौसम से पहले और एक रबी मौसम से पहले। यह कृषि विज्ञान मेला रबी मौसम से पहले किया जा रहा है।


उन्‍होंने संस्‍थान की विगत वर्ष की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि संस्‍थान द्वारा विगत वर्ष 14 संकर व सामान्‍य पर्वतीय फसल प्रजातियां विकसित की गयी है जिनमें मक्‍का की 5, मंडुआ की 3, धान व मटर प्रत्‍येक की दो-दो तथा मादिरा एवं चुआ की एक-एक प्रजाति सम्मिलित है।

उन्‍होंने कहा कि संस्‍थान उन्‍नत उत्‍पादन वाली प्र‍जातियों के साथ ही अच्‍छे पोषणमान वाली प्रजातियों के विकास पर बल दे रहा है जिसका उदाहरण मक्‍का की प्रजाति वीएल त्रिपोशी एवं वीएल पोषिका है। उन्‍होंने मशरूम के पिन हैड जल्‍दी बनने में सहायक जीवाणु का भी जिक्र किया।


साथ ही उन्‍होंने संस्‍थान की अन्‍य तकनीकियों जैसे बकवीट डीहलर, 25 जून को बोई जाने वाली मंडुआ की उच्‍चतम पैदावार तथा महिला सशक्तिकरण के प्रयासों से भी अवगत कराया।

उन्‍होंने कहा कि पॉलीहाउस में बेमौसमी सब्‍जी उत्‍पादन, मशरूम के 10 बैग तथा 10 मधुमक्‍खी बक्‍से लगाकर कृ‍षक 60 हजार प्रतिवर्ष की आय अर्जित कर सकते है। उनके अनुसार संस्‍थान पोषण सुरक्षा, पर्यावरण सन्‍तुलन एवं कृषि के सतत विकास हेतु प्रतिबद्ध है।


इस अवसर पर अल्‍मोड़ा नगर निगम के मेयर अजय वर्मा विशिष्‍ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्‍होंने कहा कि यदि आज का युवा लगन, तन्‍मयता व मेहनत से काम कर कृषि करे तो बेरोजगारी की समस्‍या काफी हद तक दूर हो सकती है।

हमारे उत्‍तराखण्‍ड की जलवायु एवं वातावरण इतना अच्‍छा है कि यहां फल, धान्‍य फसलों, सब्जियों का अच्‍छा उत्‍पादन मिल सकता है जो कि कृषकों की आय वृद्धि का स्रोत बन सकता है।


विशिष्‍ट अतिथि एवं पूर्व निदेशक डा. जेसी भट्ट ने संस्‍थान की उप‍लब्धियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्‍थान द्वारा पर्वतीय फसलों की जो किस्‍में विकसित की गयी है वे पर्वतीय क्षेत्रों के साथ-साथ देश के अन्‍य क्षेत्रों में भी अच्‍छा प्रदर्शन दे रही है। उन्‍होंने कृषकों से अपील की कि जिस प्रकार टिहरी में कॉर्न गांव व मशरूम की खेती की जा रही है वैसे ही वे अपने क्षेत्र को किसी विशेष कृषि तकनीक हेतु विशिष्‍टता दिला सकते है।


संस्‍थान द्वारा किए जा रहे समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर पर प्रशंसा व्‍यक्‍त करते हुए उन्‍होंने कहा कि इन समझौतों से संस्‍थान की विकसित किस्‍में व तकनीकें कृषकों तक आसानी से पहुँच रही है। इससे पूर्व गोविन्‍द बल्‍लभ पन्‍त राष्‍ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्‍थान, कोसी के निदेशक डॉ. आईडी भट्ट ने संस्‍थान की उपलब्धियों पर संस्‍थान के निदेशक डॉ. लक्ष्‍मी कान्‍त को बधाई दी और कहा कि संस्‍थान द्वारा विभिन्‍न प्रजातियों का अच्‍छा बीज उत्‍पादन कर उन्‍हें 24 राज्‍यों को वितरित किया जाना वास्‍तव में प्रशंसनीय है। उनके अनुसार कृषकों की आय दुगुनी करने में संस्‍थान द्वारा विकसित प्रजातियां व तकनीकी हस्‍तक्षेप एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। उन्‍होंने कृषकों से अपील की कि वे संस्‍थान की तकनीकियों का लाभ लेकर सब्‍जी उत्‍पादन को इस स्‍तर तक बढ़ाये कि उन्‍हें स्‍थानीय बाजारों में आसानी से पहुँचा कर यहां की जनता की आवश्‍यकताओं को पूरा किया जा सके।
मुख्‍य उद्यान अधिकारी डॉ. नरेन्‍द्र कुमार ने अपने विभाग द्वारा चलायी जा रही योजनाओं एवं कृषकों को दी जाने वाली छूट से सभी को अवगत कराया। उन्‍होंने खेती में विविधीकरण पर बल देते हुए कहा कि बागवानी, पुष्‍प, सब्‍जी, मशरूम इत्‍यादि के उत्‍पादन से पर्वतीय क्षेत्रों में स्‍वरोजगार उत्‍पन्‍न किए जा सकते है तथा कृषक आय सुरक्षित की जा सकती है। उनके अनुसार कृषकों के घरों में जब खुशहाली होगी तभी कृषि एवं सम्‍बन्धित विभाग सफल होंगे।
इस मौके पर प्रगतिशील एवं पुरस्‍कृत कृषकों दीपा देवी, मदन मोहन गिरी एवं भूपेन्‍द्र सिंह सतवाल ने भी संस्थान द्वारा प्रदत्त तकनीकियों हेतु आभार व्यक्त किया।
मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा संस्थान की सब्‍जी मटर प्रजाति “वीएल माधुरी” का लोकार्पण किया गया। साथ ही संस्‍थान द्वारा प्रकाशित दो प्रसार प्रपत्रों नामत: “कटाई उपरान्‍त कृषि कार्यों का सरलीकरण: श्रम घटाएँ, दक्षता बढ़ाऍं” तथा “दूधिया मशरूम (कैलोसाइबी इन्डिका) की उत्‍पादन तकनीकी” का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर अनुसूचित जाति उपयोजना के अन्तर्गत जिला बागेश्‍वर के ग्राम लखनी, तुपेड़ जिला नैनीताल के ग्राम अल्‍चुना एवं जिला पौड़ी के ग्राम ईडाधार के कृषकों को वीएल मंडुआ थ्रैशर, वीएल लाईट ट्रैप एवं वीएल स्‍मॉल टूल किट का वितरण किया गया।
किसान मेले में आयोजित प्रदर्शनी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनेक संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों द्वारा प्रतिभाग किया गया एवं लगभग 30 प्रदर्शनियाँ लगायी गयी। इस अवसर पर विभिन्‍न संस्थानों एवं विभागों के वैज्ञानिक एवं अधिकारी के अलावा विभिन्‍न क्षेत्रों से आये लगभग 650 कृषक भी उपस्थित थे।
मेले में आयोजित कृषक गोष्ठी में पर्वतीय कृषि से सम्बन्धित विभिन्‍न पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी साथ ही कृषकों की विभिन्‍न समस्याओं का कृषि वैज्ञानिकों द्वारा त्वरित समाधान किया गया। विभिन्‍न कृषकों द्वारा अपने अनुभव साझा किये गये। कृषि विज्ञान मेले में कृषक गोष्ठी का संचालन डॉ. कामिनी बिष्‍ट, कार्यक्रम का संचालन डा. अनुराधा भारतीय तथा निधि सिंह एवं धन्यवाद प्रस्ताव डा. निर्मल कुमार हेडाऊ, प्रभागाध्यक्ष, फसल सुधार द्वारा किया गया।