विश्व मानवाधिकार दिवस (World Human Rights Day)- तो सिकुड़ रहा है लोकतंत्र और मानवाधिकार का दायरा!

Newsdesk Uttranews
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World Human Rights Day – Democracy and human rights are shrinking!

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अल्मोड़ा, 10 दिसंबर 2020- विश्व मानवाधिकार दिवस (World Human Rights Day) पर उत्तराखंड छात्र संगठन की ओर से अल्मोड़ा में एक संगोष्ठी का आयोजन कराया गया|

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World Human Rights Day

उपपा केन्द्रीय कार्यालय में हुई (World Human Rights Day) पर हुई संगोष्ठी में प्रोफेसर एसडी शर्मा ने कहा कि मानव समाज के विकास के साथ ही मानवाधिकार की अवधारणा का विकास हुआ है जो आज व्यक्ति और समाज की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

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संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि तकनीकी विकास के साथ लोकतंत्र के विकास का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है जो इस दौर की सबसे बड़ी चिंता है।

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार के इतिहास व विकास पर अपनी बात रखते हुए विधवेत्ता प्रोफेसर एवं निदेशक राजेन्द्र प्रसाद विधि संस्थान नैनीताल एसडी शर्मा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 सितम्बर 1948 को घोषित सार्वभौमिक मानवाधिकारों का पालन करना सभी सरकारों के लिए आवश्यक है।

इस मौक़े पर उत्तराखंड छात्र संगठन के अनुराग मनकोटी, मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट स्निग्धा तिवारी ने कहा कि सजग नागरिक व समाज ही समतामूलक समाज व सबके लिए सम्मान की गारंटी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की घोषणाओं व कानूनों को किताबों से निकालकर धरातल पर लाना सबसे बड़ी चुनौती है, जो बिना राजनैतिक चेतना के संभव नहीं होगी।

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संगोष्ठी में भारतीय संविधान की प्रस्तावना रखते हुए उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष एडवोकेट पीसी तिवारी ने कहा कि संविधान द्वारा दिए गए सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, उपासना व अवसर की समानता के साथ व्यक्ति की गरिमा व सम्मान की रक्षा करने में हमारी शासन प्रणाली असफल साबित हो रही है। इसलिए व्यापक प्रशासनिक व राजनीतिक बदलाव की ज़रूरत है।

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(World Human Rights Day) के अवसर पर हुई संगोष्ठी में उत्तराखंड छात्र संगठन की किरन आर्या, उत्तराखंड लोक वाहिनी के कुनाल तिवारी, उपपा के एडवोकेट नारायण राम, गोपाल राम, श्रीमती चंपा सुयाल, श्रीमती हीरा देवी, उच्च न्यायालय की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी, राजू गिरी, श्रीमती अनीता बजाज समेत अनेक लोग शामिल रहे।

संगोष्ठी ने स्पष्ट रूप से मत व्यक्त किया कि भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है, आम जनता की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी समाप्त हो रही है जो अच्छा संकेत नहीं है।

संगोष्ठी में सभी सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने एवं शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार, असमानता दूर करने की मांग की गई और कानूनों का निर्माण लोगों से गंभीर संवाद व उनकी भागीदारी से करने की अपील की भी गई।(World Human Rights Day)

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