विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की एक और उपलब्धि— वीएल चेरी टमाटर 1 और वीएल सब्जी मटर 14 अधिसूचना के लिये अनुमोदित

Newsdesk Uttranews
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विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित वीएल चेरी टमाटर 1 और वीएल सब्जी मटर 14 अधिसूचना के लिये अनुमोदित

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28 अक्टूबर, 2020 को हुए बागवानी फसलों हेतु फसल मानक, अधिसूचना एवं विमोचन की केन्द्रीय उप-समिति की 28वीं बैठक में विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा द्वारा विकसित “वी.एल. चेरी टमाटर 1” एवं ”वी.एल. सब्जी मटर 14“ प्रजातियों को भारत के राजपत्रों में अधिसूचना हेतु अनुमोदित कर दिया गया है। कोरोना काल के चलते उक्त बैठक आनलाइन आयोजित की गई थी।

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विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान


कहां के लिये उपयुक्त है वीएल चेरी टमाटर 1


विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित चेरी टमाटर की प्रजाति जोन-1 (उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख), जोन-3 (अण्डमान निकोबार एवं असम को छोड़कर सभी उत्तर-पूर्वी राज्य) एवं जोन-7 (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं गोवा) के लिए संस्तुत की गयी है। ध्यान देने की बात यह है कि यह प्रजाति अखिल भारतीय समन्वयक सब्जी फसल अनुसंधान परियोजना के माध्यम से अखिल भारतीय स्तर पर अनुमोदित चेरी टमाटर की सार्वजनिक क्षेत्रों से पहली प्रजाति है।


इसका विकास शुद्ध/अमिश्रित लाईन चयन विधि द्वारा AVRDC line EC 461693(CH 154) से किया गया है। अखिल भारतीय प्रजाति परीक्षण (सब्जी फसल) के बहु-स्थानीय परीक्षणों में इसकी औसत फल उपज स्वर्ण रतन की तुलना में 27.54, 22.16 और 50.43 प्रतिशत क्रमशः जोन-1, जोन-3 एवं जोन-7 में अधिक आंकी गयी। इसकी औसत उपज खेत में 250 से 300 कुन्तल प्रति हैक्टयर में एवं पौलीहाऊस में 400 से 450 कुन्तल प्रति हैक्टर है। इसके फल तुड़ाई हेतु 75 दिन में तैयार हो जाते है। इस प्रजाति का फल औसतन 15 ग्राम आकर्षक लाल रंग एवं विटामिन सी की प्रचुर मात्रा (86मिग्रा./100ग्रा.) से युक्त होता है। जबकि सामान्य प्रजातियों में यह 32-36 मिग्रा./100ग्रा. होती है। यह प्रजाति जैविक एवं अजैविक खेती हेतु उपयुक्त है।


कहां के लिये उपयुक्त है वी.एल. सब्जी मटर 14

विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित वी.एल. सब्जी मटर 14 मटर की मध्यम परिपक्वता अवधि वाली किस्म है, जो राज्य प्रजाति परीक्षण (सब्जी फसल) के द्वारा उत्तराखण्ड के लिए चिन्हित की गयी है। इसका विकास पी.सी. 531/पूसा प्रगति के संकरण से वंशावली विधि द्वारा किया गया है। राज्य प्रजाति परीक्षण (सब्जी फसल) के बहु-स्थानीय परीक्षणों में इसकी औसत हरी फली उपज विवेक मटर 11 की तुलना में 21.38ः अधिक आंकी गयी है

विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान

वी.एल. सब्जी मटर 14 मध्य पहाड़ी परिस्थियों (नवम्बर बुवाई फसल) में पहली तुडाई (हरी फली) के लिए लगभग 128-132 दिनों में तैयार हो जाती है और औसतन 126 कु/है. हरी फलियों की उपज देती है। उच्च उपज क्षमता के अलावा, यह किस्म चूर्णित असिता रोग के लिए प्रतिरोधी है। इसकी फलियां लम्बी तथा अधिक शेलिंग प्रतिशत (झ49ः) वाली हैं। इसके प्रति फली में दानों की संख्या 10-11 है जो कि प्रचलित प्रजाति अर्किल के 7-9 दानों से अधिक है।

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