‘उत्तरायणी’ सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का त्योहार
चारू तिवारी सुबह के ‘ब्यांणी तार’ ने अभी विदाई ली थी। सुबह होने में अभी कुछ देर है। हमने भी गांवों में अभी ‘ततवांणी’ मनाई ठहरी। रात को गरम पानी से नहाया ठहरा। रातभर जागरण में हुये। बहुत सारे भजन-गीत गाने वाले हुये इस रात। सबको बहुत बेसब्री से इंतजार हुआ पौ फटने का। सर्द … Continue reading ‘उत्तरायणी’ सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का त्योहार
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