देहरादून। निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा उत्तराखण्ड ने विद्यालयी शिक्षा विभाग के अन्तर्गत कार्यरत् सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कार्यकुशलता, क्षमता में वृद्धि तथा जनसमस्याओं के त्वरित निराकरण एवं विभाग को संवेदनशील, पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के उद्देश्य से आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए हैं।
कहा गया है कि प्रायः देखा जा रहा है कि कार्मिक / अधिकारी विलम्ब से कार्यालय में आते हैं, जिससे जनसमस्याओं का त्वरित निस्तारण नहीं हो पाता है। साथ ही कार्मिकों की इस प्रवृत्ति से विभाग की छवि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
अतः सभी कार्यालयाध्यक्ष / अनुभाग अधिकारी / मुख्य प्रशासनिक अधिकारी यह सुनिश्चित करेगें कि वे स्वयं तथा उनके अधीनस्थ कार्यरत् कर्मचारी प्रातः 10.00 बजे तक प्रत्येक दशा में कार्यालय में उपस्थित हो जाएं। यदि कोई अधिकारी / कर्मचारी प्रातः 10.10 बजे बाद कार्यालय में आता है तो उसे प्रथम बार मौखिक चेतावनी द्वितीय बार विलम्ब से आने पर लिखित चेतावनी तथा तृतीय बार विलम्ब से आने पर उसके विरूद्ध वेतन काटने / विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जाएगी। यह सम्बन्धित अधिकारी / कर्मचारी की व्यक्तिगत पत्रावली में भी रखी जाएगी।
वहीं मध्याह्न भोजन के समय एवं इसके उपभोग के बारे में निर्धारित व्यवस्था का अनुपालन नहीं किया जा रहा है, जिससे आम जनता को कार्यालयों में आने पर असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। राजाज्ञा दिनांक 04 जनवरी, 2006 में वर्णित व्यवस्थानुसार मध्याहन भोजन का समय 01.00 बजे अपराहन से 02.30 बजे अपराह्न के मध्य केवल आधे घण्टे का होगा और इस अवधि में ही प्रत्येक अधिकारी / कर्मचारी मध्याह्न भोजन के लिए निर्धारित समय का उपयोग करेगें।
विभाग के प्रत्येक कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारी / कार्मिक अपने कार्यालय / अनुभाग में कार्यरत कर्मचारियों के आधे घण्टे के मध्याह्न भोजन का समय इस प्रकार निर्धारित करेगें कि एक बार में लगभग एक तिहाई कर्मचारी ही मध्याहन भोजन पर जायेंगे। जहां पर एक अधिकारी एवं एकल कर्मचारी ही हों वहां पर वे आपस में मध्याहन भोजन का समय इस प्रकार तय करेगें कि उनमें से एक कार्यालय / अनुभाग में अवश्य उपस्थित रहे।