विमर्श — बिहार में ” का बा ”के बाद 2022 में उत्तराखंड (Uttarakhand) में ”को आल ?”

Newsdesk Uttranews
5 Min Read

बिहार के परिणाम के बहाने उत्तराखण्ड में 2022 चुनाव की चर्चा

Screenshot-5

हेमराज सिंह चौहान

holy-ange-school

Uttarakhand- बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए सबक हैं कि लड़ाई ज़मीन पर लड़ी जाती है हवा में नहीं। बिहार चुनाव में अपनी हार को छुपाने के लिए वो कमजोर सीटों पर लड़ने की दुहाई दे रही है। इसके उलट हकीकत ये है कि वो अपने पिछले बार का प्रदर्शन भी नहीं छू पाई है और उसे बिहार मेंं जनता ने नकार दिया।

ezgif-1-436a9efdef

Uttarakhand Police विभाग में रैंकर्स परीक्षा होगी जल्द, मिलेगा प्रमोशन का मौका

उसे 70 सीटों में चुनाव लड़ने के बावजूद 19 सीट मिली है, जबकि साल 2015 में उसने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा और 27 सीट आई थी। पांच साल बाद उसकी 8 सीटें कम हो गई। औवेसी की पार्टी को पांच सीटें मिली हैं, इसमें से उसने दो सीटों पर कांग्रेस को मात दी, दो पर आरजेडी को और एक पर जेडीयू पर।

ये बताने का मतलब ये है कि अगर कांग्रेस इन दो सीटों को छोड़ दे तब भी अपने खाते की सात सीटों पर हारी है। करीब सवा साल बाद उत्तराखंड (Uttarakhand) में विधानसभा चुनाव है और अब सवाल ये है कि क्या उत्तराखंड में वो बीजेपी को हरा पाएगी। अगर आप उत्तराखंड का इतिहास देखेंगे तो साफ है कि यहां हर पांच साल में जनता जनादेश बदलती है।

रीठागाड़ क्षेत्र में आयोजित हुआ कृषि मेला (Agricultural fair)

यानि इस बार कांग्रेस के वापसी के चांस मज़बूत हैं, पर सवाल ये है कि क्या इस बार बीजेपी ये परंपरा तोड़ देगी और फिर से सत्ता में वापसी करेगी। उत्तराखंड (Uttarakhand) में कांग्रेस की अंदरुनी कलह से सब वाकिफ है। एक गुट पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का है और एक गुट उनके विरोधियों को। दोनों के बीच एक दूसरे को कमजोर करने की होड़ मची है।

इसके अलावा उसके कई नेता पांच साल पहले ही बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। इसमें यशपाल आर्या जैसे नेता भी हैं, जिनकी संगठन में मजहब पकड़ थी। (Uttarakhand) त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम के तौर पर अपनी छाप जनता के बीच नहीं छोड़ पाए हैं पर पार्टी का विश्वास उन पर बना हुआ है और वो नारायण दत्त तिवारी के बाद सीएम के तौर पर पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लेंगे, ऐसी मजबूत संभावना है। हालांकि पार्टी के अंदर उनके नेतृत्व को लेकर सवाल हैं।

मुझसे अनौपचारिक बात में एक सत्ताधारी पार्टी के विधायक के करीबी ने कहा कि हम इस वजह से आगामी विधानसभा चुनाव में कमजोर हो सकते हैं क्योंकि सीएम सही ये काम नहीं कर रहे हैं। कहने का मतलब है कि कांग्रेस के पास 2022 में एक बेहतर मौका है राज्य में सत्ता पाने का लेकिन सवाल ये है कि मौजूदा हालात में पार्टी की जो हालत है क्या वो मौका भुना पाएगी या फिर हरियाणा की तरह बीजेपी दोबारा सत्ता में आएगी।

मैंने हरियाणा का जिक्र इसलिए किया क्योंकि वहां भी बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर दिखी थी, अनिल विज को छोड़कर सारे मंत्री चुनाव हार गए फिर भी दुष्यंत चौटाला की मदद से बीजेपी ने सरकार बना ली और मनोहर लाल खट्टर सीएम बन गए।

Uttarakhand Breaking- दवा खरीद घोटाले और फर्जी गूल निर्माण में सीएम ने दिए कार्रवाई के निर्देश, दोषी कार्मिकों से होगी वसूली

उत्तराखंड (Uttarakhand) में क्या हरीश रावत को चेहरा बनाकर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी या फिर बगैर चेहरे की इसकी संभावना ज्यादा है। उत्तराखंड में नरेंद्र मोदी के नाम पर ही बीजेपी चुनाव लड़ेगी यह लगभग तय है। नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की क्या कोई काट कांग्रेस के पास है, या फिर वो इस भरोसे है कि राज्य में विधानसभा चुनाव का इतिहास और जनता ही उसे सत्ता तक पहुंचाएगी. बिहार में ” का बा ” के बाद अब देखना होगा कि उत्तराखंड ”में 2022 में ” को आल ?”

लेखक स्वतंत्र पत्रकार है।

कृपया हमारे youtube चैनल को सब्सक्राइब करें

Joinsub_watsapp