पिथौरागढ़: फिर जोर पकड़ने लगा विश्वविद्यालय (university) की स्थापना का मुद्दा

UTTRA NEWS DESK
5 Min Read
university

Demand for establishment of university in Pithoragarh

Screenshot-5

पिथौरागढ़ सहयोगी, 18 जुलाई 2020
सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय (university)
की स्थापना का मुद्दा फिर जोर पकड़ने लगा है। इस मुद्दे पर शुक्रवार को छात्र-युवाओं ने कलक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।

holy-ange-school

छात्र-युवाओं ने कई सवाल उठाते हुए पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय (university) की स्थापना को लेकर सकारात्मक कदम उठाने की मुख्यमंत्री से उम्मीद भी जताई है।

ezgif-1-436a9efdef

पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष महेंद्र सिंह रावत और राकेश जोशी की अगुआई में भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि समाचारपत्रों और अन्य मीडिया स्रोतों से यह ज्ञात हुआ है कि कुमाऊं विवि को विभाजित कर सोबन सिंह जीना विवि बनाने संबंधी विधेयक को राजभवन की मंज़ूरी मिलने के बाद, इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गयी है। इसके मुताबिक़ पिथौरागढ़ के एलएसएम राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय को नवगठित विवि(university) से संबद्ध एक परिसर बनाए जाने की सूचना भी प्राप्त हुई है।

छात्र युुुवाओंं का कहना है कि विगत कई दशकों से पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय की मांंग उठती रही है। इस मांग को विगत वर्षों में भी ज्ञापन के जरिये सरकार तक पहुंचाया गया था।

पिछले वर्ष पिथौरागढ़ जनपद में छात्रसंघ के संयोजन और नगर के विभिन्न सामजिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं, बार एसोसिएशन व व्यापार संगठनों के साझे नेतृत्व में विश्वविद्यालय (university) की स्थापना के लिए एक व्यापक अभियान चलाया गया था। जनपद के दूरस्थ व सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा कर समर्थन स्वरूप आम नागरिकों व प्रबुद्ध जनों से प्राप्त हज़ारों हस्ताक्षरों को राज्य सरकार को प्रेषित भी किया गया था।

https://uttranews.com/diploma-pharmacists-association-dissolved18-july2020/

लेकिन पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय (university) की स्थापना की मांंग को नजरअंदाज कर उसके स्थान पर वर्तमान महाविद्यालय को ही एक नवगठित विवि से संबद्ध कर परिसर का दर्जा दे दिए जाने से जनपद के छात्र-छात्राएं, युवा वर्ग व नागरिक समाज अपने को छला हुआ महसूस कर रहा है। यही नहीं महाविद्यालय में सीमान्त क्षेत्र की छात्रसंख्या का दबाव है और तकरीबन 7 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।

इस महाविद्यालय को ही परिसर में बदल दिए जाने से यह आशंका भी है कि आगामी वर्षों में प्रवेश की सीमित-सीट होने के चलते बहुत से छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। छात्र युवाओं का कहना है कि महाविद्यालय को ही परिसर में बदल दिया जाना जनपद की खस्ताहाल उच्च शिक्षा को सुधारने की दिशा में उठा कदम प्रतीत नहीं होता।

मुख्यमंत्री से छात्रों का कहना है कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा ना मिल पाने से होने वाले नुकसान को, अच्छी उच्च शिक्षा की तलाश में जिले से हो रहे पलायन की पीड़ा को सभी पिथौरागढ़ वासी महसूस करते आये हैं और इस पर अलग अलग तरीके से समय समय पर आक्रोश भी जताते आये हैं।

सीमान्त जनपद में विश्वविद्यालय (university) की स्थापना इसलिए की जाए क्योंकि यहाँ वर्तमान में संसाधनों की कमी के बावजूद सात हजार के करीब विद्यार्थी महाविद्यालय में अध्ययनरत हैं और जनपद के दूरस्थ इलाकों से अच्छी शिक्षा ग्रहण करने का सपना लिए लिए भारी संख्या में छात्र छात्राएं हर वर्ष जिला मुख्यालय में आते हैं।

पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय (university) के खुलने का अर्थ होगा संसाधनों के अभाव से जूझते इस जिले को संसाधनों के आवंटन में जरूरी हिस्सा मिलना. विश्वविद्यालय को पिथौरागढ़ में खोला जाना सीमान्त में संसाधनों की आपूर्ति बढ़ाये जाने की दिशा में एक ठोस प्रयास साबित होगा. जनपद के 7 महाविद्यालयों और नजदीकी चंपावत जनपद को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा।

छात्र युवाओं ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय (university) की स्थापना के लिए सकारात्मक कदम उठाने की मांग की है। ज्ञापन की प्रति उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को भी भेजी गई है। प्रदर्शन में दीपक, किशोर, मुकेश, नूतन, चेतना, आशीष, शिवम, अंजलि, निशा, विद्या, सूरज, पारस, रजत व नितिन आदि छात्र युवा शामिल थे।

अपडेट खबर पाने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करे

https://www.youtube.com/channel/UCq1fYiAdV-MIt14t_l1gBIw

Joinsub_watsapp