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जिला विकास प्राधिकरण (District Development Authority)को खत्म करने की मांग:विपक्ष के विधायकों का जोरदार हंगामा, मार्शल बुलाए

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Demand to abolish District Development Authority

देहरादून, 16 जून 2022- ज़िला विकास प्राधिकरण (District Development Authority)को खत्म करने की मांग को लेकर फिर सदन में हंगामा हुआ।

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प्राधिकरण को खत्म करने की मांग विपक्ष अड़ गया। यही नहीं विपक्ष के सदस्य वेल में उतरे।
कांग्रेस विधायक वेल पर पहुंचकर करने लगे। उन्हें रोकने को मार्शल बुलाने पड़े।


इस दौरान सरकार की बात करने की कोशिश पर भी विपक्ष सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ।

कांग्रेस के सभी विधायक नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में वेल पर लगातार हंगामा करते रहे।
अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी ने कहा जिला विकास प्राधिकरण (District Development Authority)निरस्त करना ही होगा। फिर
सदन में कांग्रेस विद्यायकों की नारेबाजी शुरू कर दी
यही नहीं अनुपमा रावत को रोकने मार्शल तक बुलाई गई।

जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण (District Development Authority)समाप्त करने की मांग को लेकर आज सदन में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण खत्म करने को लेकर विपक्ष ने सदन में पहले हंगामा किया।

जिसके बाद कांग्रेस विधायक वेल में धरने पर बैठ गए हैं। विपक्ष ने कहा पूर्व में विधानसभा से जो कमेटी चंदन रामदास की अध्यक्षता में गठित हुई थी, उसकी रिपोर्ट कहां गई। कांग्रेस के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही कुछ देर रुकी। सदन में हंगामे के बीच विधायक अनुपमा रावत और सुमित हृदयेश की मार्शल से धक्का-मुक्की हुई। वहीं कांग्रेसियों ने सदन में बजट की कॉपी फाड़ी।

विधानसभा स्पीकर के कई बार कहने के बावजूद विपक्ष शांत नहीं बैठा। जिसके बाद सदन की कार्यवाही कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।


इस मामले को लेकर सदन में कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत ने कहा कि हरिद्वार ग्रामीण में लोगों से नक्शा मांगा जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण लूटपाट का जरिया बन गया है। लोगों में दहशत का माहौल है। ग्रामीण क्षेत्रों से प्राधिकरण को खत्म करना चाहिए। वहीं कांग्रेस विधायक सुमित ह्रदयेश ने कहा कि नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया होनी चाहिए। प्राधिकरण इन लोगों पर कार्रवाई करता है।

इस संबंध में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि प्राधिकरण में नक्शे की स्वीकृति की जो प्रक्रिया है, वह सुगम नहीं है ।

उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा कि प्राधिकरण की जरूरत क्यों है? पालिका, नगर पंचायत से नक्शे पास होते थे। जब प्राधिकरण इतना पैसा वसूल रहा है तो उसके बदले जनता को क्या सुविधा दे रहे हैं ?

शहरी क्षेत्रों में शुल्क दो फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में शुल्क पांच फीसदी। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण बेतुका निर्णय है। गरीबों से यह मात्र वसूली का जरिया है।


संसदीय कार्य मंत्री एवं शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जो पैसा प्राधिकरण (District Development Authority)कमाते हैं, उस क्षेत्र में अवस्थापना से जुड़े कामों में लगता है। 2016 के बाद जो क्षेत्र जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण में शामिल हुए थे, वहां मानचित्र की कोई अनिवार्यता नहीं है।

इसके बाद मंत्रिमंडलीय उप समिति की रिपोर्ट के आधार पर तमाम राहत दी गई। तय किया गया था कि अगर 2016 के बाद विकास प्राधिकरण में शामिल होने वाले नए क्षेत्रों को नक्शा पास कराने की स्वेच्छा से आजादी होगी, बाध्यता नहीं होगी। मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया था कि 2016 से पूर्व के बने हुए विकास प्राधिकरण को छोड़कर नए जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को स्थगित किया गया था।