The condition of Agniveers should not be like SSB guerrillas
अल्मोड़ा -18-जून 2022—एसएसबी स्वयं सेवक कल्याण समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानन्द डालाकोटी व जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने आज यहां जारी बयान में सीमा की सुरक्षा को लेकर नित नये प्रयोग न करने की केन्द्र सरकार से मांग की है।(Agniveers
)
करते हुए कहा कि 1962में भारत चीन युद्ध के बाद ही सीमा की सुरक्षा की मजबूती के लिए बिशेष सुरक्षा ब्यूरो जैसा महत्वपूर्ण बल बनाया गया जिसके अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्रों के 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी महिला पुरूषों को सम्मिलित कर राईफल चलाने सहित युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया ।
यही नहीं इनमें से चयनित युवक युवतियों को छापामार युद्ध का बिशेष प्रशिक्षण दिया गया जिनकी बुनियाद पर आज सशस्त्र सीमा बल जैसा विशाल अर्द्धसैनिक बल खड़ा है उसके तहत् प्रशिक्षित लाखों बेरोजगार स्वयं सेवक पिछले 16 वर्षों से सेवायोजित किये जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं ।
जिनकी कोई सुध नहीं ले रहा है यही नहीं सरकार ने बीबीएफ, एसपीओ जैसे प्रयोग भी सीमा पर किये किंतु किसी को भी कभी पूरी भांति मजबूत नहीं किया।
अजीब बिडंबना है कि 1980से 1985के बीच पंजाब में चल रहे आतंकवाद को देखते हुए एस एस बी स्वयं सेवकों में से अस्थाई सी आरपीएफ, पीएसी बनाई गयी कुछ वर्षों में वह भी भंग कर दी गयी । होम गार्ड,पीआरडी भी अस्थाई फोर्स के हमारे सामने उदाहरण है जो जैसे तैसे जीवन यापन के लिए सरकार से जुड़े हैं इसलिए अग्निपथ (Agniveers)योजना भी सरकार का विफल प्रयोग तथा युवाओं से खिलवाड़ साबित न हो।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अग्निवीरों (Agniveers)को चार साल बाद आपदा प्रबंधन सहित अन्य विभागों में नौकरी दिये जाने के आश्वासन पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन,होम गार्ड ,पीआरडी, स्टेट इकोटास्क फोर्स,कैम्पा ,पीडब्लूडी में रोजगार के झुनझुने गुरिल्लों को सुनाये ही नहीं गये बल्कि कुछ शासनादेश भी जारी किये किन्तु राज्य सरकार अपने ही शासनादेश लागू नहीं कर पायी इसलिए दोनों पदाधिकारियों ने मांग की कि चार वर्ष की अस्थाई फोर्स के स्थान पर सीमावर्ती क्षेत्रों के स्थानीय नागरिकों को जोड़ते हुए गुरिल्ला युक्त स्थाई रोजगार देने वाली बहुआयामी फोर्स बनाई जाय जिससे सीमावर्ती इलाकों से पलायन भी रुक सके ।