वो बाबा जनसरोकार वाला-जब राज्य के मुद्दों के लिए शहीद हो गए बाबा मोहन उत्तराखंडी

उत्तरा न्यूज डेस्क
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आज के दिन ही ऱाज्य की अस्मिता के लिए शहीद हुए थे बाबा मोहन उत्तराखंडी

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अल्मोड़ा, 09 अगस्त 2020- आज बाबा मोहन उत्तराखंडी का शहादत दिवस है.

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बाबा मोहन उत्तराखंडी

उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण बनाये जाने की मांग कर अपने ही राज्य में हुकमरानों के सामने सत्याग्रह करने वाले बाबा 3 दिसंबर 1948 को जन्मे थे.
उनका नाम मोहन सिंह नेगी (बाबा मोहन उत्तराखण्डी) था और पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लॉक में स्थित बठोली गाँव के मानवर सिंह नेगी के दूसरे पुत्र थे.
हाई स्कूल और आईटीआई पूरा करने के बाद, वह 1970 में भारतीय सेना में शामिल हो गए.

बचपन से ही सरोकारी रहे बाबा ने बाद में सेना की नौकरी छोड़ दी और उत्तराखंड के राज्य के आंदोलन में भाग लिया.

आंदोलन में उनकी भागीदारी इतनी गहरी थी कि उन्होंने अपने परिवार को छोड़ दिया, एक तपस्वी बन गए और एक दिन में केवल एक बार भोजन करने का वचन दिया. दाड़ी बाल बढ़ा लिए .उत्तराखंड के लिए उनकी असीम प्रतिबद्धता के लिए लोगों द्वारा उन्हें ‘बाबा उत्तराखंडी’ की उपाधि दी.

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हालाँकि, राज्य बनने के तुरंत बाद बाबा का मोहभंग हुआ और उन्हें एहसास हुआ कि राज्य के गरीब पहाड़ी लोगों के लिए चीज़ें वैसी कि वैसी ही हैं.
उन्होंने तब पहाड़ी राज्य की स्थाई राजधानी ‘गैरसैण’ को बनाने के लिए मैराथन उपवास करने का फैसला किया
राज्य की स्थाई राजधनी गैरसैंण बनाने और राज्य का नाम उत्तराखंड करने सहित पांच मांगों को लेकर 2 जुलाई 2004 से बेनीताल, आदिबद्री में आमरण अनशन में बैठने के 38 दिन बाद बाबा मोहन उत्तराखण्डी ने 9 अगस्त 2004 को कर्णप्रयाण के सरकारी अस्पताल में दम तोड़ दिया. तब राज्य के प्रशासन, पुलिस और मशीनरी पर उपेक्षा और उत्पीड़न के कई आरोप भी लगे थे.

आज बाबा की शहादत को 16 वर्ष बीत गए हैं, राज्य का नाम उत्तराखंड तो हो गया है पर स्थाई राजधानी गैरसैण का सपना आज भी राष्ट्रीय दलों के निजी स्वार्थ की वजह से आज भी अधूरा है.

इधर यूकेडी ने भी उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए. कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल राज्य हितों की सुरक्षा एवं गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने के अपने संकल्प के लिए प्रतिबद्ध है.

बाबा मोहन उत्तराखंडी के उपपा ने भी दी श्रद्धांजलि

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने भी जनसरोकारों के लिए शहीद बाबा उत्तराखंडी को श्रद्धांजलि अर्पित की है.

उपपा के केंद्रीय अध्ध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा कि बाबा मोहन उत्तराखंडी के गैरसैंण स्थाई राजधानी के लिए किया 38 दिनों का आमरण अनशन और शहादत को याद रखा जाएगा.
कहा कि प्रदेश में सरकारें बदलती रही पर बाबा मोहन उत्तराखंडी के स्थाई राजधानी गैरसैंण के सपने को साकार नहीं कर पाईं. बाबा मोहन उत्तराखंडी राज्य की अवधारणा के पक्षधर थे.

जिन्होंने उत्तराखंड के लिए आजीवन संघर्ष किया और जीवन 13 बार आमरण अनशन किया था पुलिस प्रशाशन द्वारा की गई बर्बरता के बाद उनकी मृत्यु संदिग्ध हालत में हुई। उनके सपनों के साथ राज्य में सत्तापक्ष में आने वाली सभी पार्टियां छल करती रही हैं.
आती जाती सरकारों के नेताओं ने प्रदेश में जल, जंगल, ज़मीन की लूट खसोट कर सिर्फ अपना हित साधा.
तिवारी ने कहा कि वर्तमान की त्रिवेंद्र सरकार भी यही कर रही है. गैरसैंण को स्थाई राजधानी ना घोषित कर ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करना त्रिवेंद्र सरकार की नीयत साफ करता है कि यह सरकार हमेशा की तरह राज्य की जनता के साथ ठगी कर रही है. अतः क्षेत्रीय अस्मिता की रक्षा के लिए एक सशक्त राजनीतिक विकल्प की आवश्यकता है जिसके लिए उपपा कार्यरत है.
इस मौके पर आनंदी वर्मा, राजू गिरी, गोपाल, रेशमा परवीन, अमीनुर्रहमान, किरन, स्निग्धा तिवारी, भारती पांडे, भावना पांडे, दीपांशु पांडे, विजय रावत, लीला, अनीता, हीरा आदि लोग शामिल थे.

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