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कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने दिल्ली के हालातों का किया जिक्र, बताया कैसे किया जा रहा विपक्ष को तंग

Newsdesk Uttranews
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस वार्ता कर कहा कि, पहली बार देखा जा रहा है जब दिल्ली की सड़कों पर कोई राहगीर नहीं चल सकता, कोई बाहर का व्यक्ति आ रहा है तो उसे थाने ले जाया जा रहा है। देश में लोकतंत्र कहां रहा? हमारे पार्टी मुख्यालय में 15 लोगों से अधिक नहीं आ सकते, उसके लिए भी 15 लोगों की सूची भेजनी पड़ी है मुख्यालय के चारों ओर बंदिशे लगी हैं कोई आ ही नहीं सकता ऐसा कभी देखा गया है?

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल थाने में जाकर अपने साथियों से मुलाकात करने जाना चाहते थे, मुझे भी अपने नेताओं से मिलने जाना था। मैंने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की गुजारिश की, बताया बस हम मिलना चाहते हैं यह लोग कोई क्रिमनल नहीं हैं। यह तो पार्टी कार्यकर्ता हैं। कार्यकर्ताओं से मिलने पर यदि मुख्यमंत्री के लिए पाबंदी लगे तो यह देश में पहली बार हो रहा है।

उन्होंने कहा कि, राहुल गांधी – सोनिया गांधी को जो ईडी का नोटिस दिया गया है, यही मामला 2015 में बंद हो गया, मोदी जी के आने के बाद, तो क्या जरूरत थी वापस तंग करने की, यह इनके फितरत के अंदर है। यह बड़ा ही खतरनाक दौर है, यह राहुल गांधी का कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

हिटलर ने भी यही काम किया था जो यह लोग कर रहे हैं, वहां भी लोगों को भड़काया गया था, यह नई बात नहीं है। यह उसी दिशा में जा रहे हैं इसे हमें सोचना होगा। हम फिर प्रधानमंत्री से निवेदन करते हैं। इन हालातों को काबू में करें, भाई चारे का संदेश दें।

इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी दिल्ली में बने हुए हालातों को दोहराया है। अपने नेताओं पर हुए जुल्मों की बात भी दोहराई, साथ ही बताया कि किस तरह पुलिस ने उन्हें अपने नेताओं से मिलने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि, मैंने पुलिस को बताया, अपने कार्यकर्ताओं से मिलने जा रहा हूं, जबकि पुलिस को सूचना थी की मुझे जाना है। लेकिन फिर मुझे 10 किलोमीटर बाद रोक दिया गया।

पुलिस ने अपनी गाड़ी मेरी गाड़ी के सामने लगा दी। मुझे जब एहसास हुआ कि, उस रास्ते पर जाम लग गया है तो हमने गाड़ी घुमा ली। विपक्ष को दबाने के सभी हथकंडे अपना लिए गए हैं।

दरअसल नेशनल हेराल्ड मामला एक अखबार से जुड़ा है। अखबार का मालिकाना हक एजेएल के पास था जो दो और अखबार छापा करती थी। इसे कंपनी एक्ट की धारा 25 से टैक्स मुक्त कर दिया गया। कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चली गई। 90 करोड़ का कर्ज भी चढ़ गया। इस बीच 2010 में यंग इंडियन के नाम से एक अन्य कंपनी बनाई गई। इसके 76 प्रतिशत शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी और बाकी के शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास थे।

आरोप है कि कांग्रेस ने अपना 90 करोड़ का कर्ज नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ एजेएल ने सारे शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिए। इसके बदले में यंग इंडियन ने महज 50 लाख रुपये एजेएल को दिए।

इसके बाद बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यंग इंडियन प्राइवेट ने सिर्फ 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का उपाय निकाला जो नियमों के खिलाफ है।

–आईएएनएस

एमएसके/एएनएम

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