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नयी दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)। अमेरिका के कैलिफोर्निया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को जनवरी 2021 में कुछ उपद्रवियों ने क्षति पहुंचाई थी। भारत सरकार द्वारा 2016 में डेविस शहर को दी गई प्रतिमा को एक पार्क में स्थापित किया गया था, जो भारत विरोधी और गांधी विरोधी संगठनों की भेंट चढ़ गई। इसी तरह की एक घटना दिसंबर 2020 में वाशिंगटन डीसी में भी सामने आई थी, जब उपद्रवियों के एक समूह ने बापू की प्रतिमा को विरूपित किया था। इस घटना ने भारतीय और अमेरिकी दोनों मीडिया में सुर्खियां बटोरी थीं।
द डिसइन्फोलैब की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इन घटनाओं के पीछे ऑर्गेनाइजेशन फॉर द माइनॉरिटीज ऑफ इंडिया (ओएफएमआई) का हाथ था। इस संगठन की स्थापना खुद को दक्षिण एशिया का स्वघोषित विशेषज्ञ कहने वाले पीटर फ्रेडरिक ने की थी। इस घटनाओं को अंजाम देने में अमेरिका में रहने वाला एक खालिस्तानी समर्थक भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी का भी हाथ माना जाता है।
भिंडर सिख यूथ ऑफ अमेरिका (1989 में स्थापित) का सदस्य था, जो अमेरिका और कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों का नेतृत्व करने वाला खालिस्तान समर्थक समूह था। मादक पदार्थों की तस्करी के एक मामले में कनाडा स्थित इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के साथ अपने संबंधों के लिए यह समूह कई मौकों पर कनाडाई और अमेरिकी सरकार के रडार पर था।
द डिसइंफोलैब के मुताबिक, कुख्यात लाल सिंह बनाम गुजरात राज्य मामले में, भिंडर को भारत में सुनियोजित आतंकवादी हमलों के लिए फंड देने वाले के रूप में नामित किया गया था। लाल सिंह के साथ मोहम्मद शरीफ (आईएसआई एजेंट), ताहिर जमाल, मोहम्मद साकिब नचन और शोएब मुख्तियार ने 1991-92 में के -2 (कश्मीर-खालिस्तान) नामक एक षड्यंत्र के लिए पाकिस्तानी खुफिया विभाग के साथ काम किया था। यह साजिश जमात-ए-इस्लामी के तत्कालीन सचिव अमीर उल अजीम के संरक्षण में लाहौर में रची गई थी। इसे पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी के चाचा चौधरी अल्ताफ हुसैन सहित कई पाकिस्तानी नेताओं ने सक्रिय रूप से समर्थन दिया था।
ओएफएमआई को जुलाई 2007 में फ्रेडरिक द्वारा पंजीकृत किया गया था, जब भिंडर को भारत सरकार द्वारा एक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। इसकी स्थापना के बाद से, संगठन के संस्थापकों ने एक ट्रांसपोर्ट कंपनी (सेफ्टी नेट ट्रांसपो) और एक बुक पब्लिशिंग हाउस (सॉवरेन स्टार पब्लिशिंग) सहित कई कंपनियां खोलीं।
डिसइंफोलैब की रिपोर्ट के अनुसार, ओएफएमआई ने अहिंसा, योग और चाय (चाय) की भारत की छवि को धूमिल करने के लिए वैकल्पिक तरीकों को अपनाया। उसने एक अलग कहानी बयान करकेलोकतंत्र के रूप में भारत की छवि को धूमिल करने और इसे फासीवादी राज्य के रूप में प्रचारित करने का फॉर्मूला अपनाया। इसके लिए फर्जी विशेषज्ञों की फौज खड़ी की गई, जो इसी फॉर्मूले को अपनाकर अपना पक्ष रखते थे।
फ्रेडरिक को एक विशेषज्ञ के रूप में मुख्यधारा में पदोन्नत किया जा रहा था। उसने गांधी के खिलाफ भारत में फासीवाद पर किताबें लिखीं। फ्रेडरिक ने 2020 के काबुल गुरुद्वारा विस्फोट में पाकिस्तान की भूमिका को भी कमतर करने की कोशिश की थी। इस हमले में 25 सिख मारे गए थे।
उसकी सभी साहित्यिक कृतियों को भिंडर के सॉवरेन स्टार पब्लिशिंग ने प्रकाशित किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है भारत को एक उभरते हुए राष्ट्र के रूप में देखा जाता है और चाय, योग तथा गांधी, भारतीय सॉफ्ट पावर के प्रतीक हैं और उन्हें दुनिया के लिए एक उपहार माना जाता है। फ्रेडरिक ने कई किताबों के माध्यम से भारत के इन प्रतीकों को व्यवस्थित रूप से लक्षित किया। उसने इन किताबों को अलग-अलग नामों से प्रकाशित किया। ये नाम पैट्रिक जे नेवर्स, पीटर फ्रेडरिक, सिंह ऑफ जूडा, पीटर सिंह और पीटर फ्लैनियन हैं। इन नामों का इस्तेमाल एक अलग कहानी को गढ़ने और भारत पर हमले करने और गांधी विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया गया।
दिलचस्प बात यह है कि ओएफएमआई भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद और हिंदू फॉर ह्युमैन राइट्स (एचएफएचआर) के साथ गठबंधन का भी हिस्सा था। यह गठबंधन 2019 में हुआ और इसे एलायंस फॉर जस्टिस एंड एकाउंटेबिलिटी (एजेए) नाम दिया गया।
एजेए के माध्यम से इन संगठनों ने सितंबर 2019 में हाउडी मोदी कार्यक्रम के दौरान ह्यूस्टन में विरोध प्रदर्शन किया था।
--आईएएनएस
एकेएस/एएनएम