युद्ध और विपदा न आए, बच्चे स्वस्थ और खुश रहें

Newsdesk Uttranews
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08fedcb8ef8e6511af8445b2a759f87cबीजिंग, 2 जून (आईएएनएस)। सैन्य मुठभेड़ में बच्चों पर सबसे बड़ा प्रभाव पड़ता है। यह दुख की बात है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2003 में इराक युद्ध शुरू होने से अब तक करीब 10 लाख इराकी बच्चे अनाथ बने। बच्चों के खिलाफ छह आम दुर्व्यवहार होते हैं, युद्ध में बच्चों की भर्ती और उपयोग, हत्या, यौन हिंसा, अपहरण, स्कूलों व अस्पतालों पर हमला और बच्चों को मानवीय सहायता से इनकार।

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हर आदमी समान है। वातावरण और राजनीति के तत्वों से बच्चों पर कट्टरता और हिंसा नहीं करनी चाहिए। 19 अगस्त 1982 को फिलिस्तीन के सवाल पर आपात विशेष बैठक आयोजित हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा को हैरान कर दिया कि फिलिस्तीन और लेबनान में इतने सारे निर्दोष बच्चे इजराइल की आक्रामक कार्रवाई के शिकार बने। इसलिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल 4 जून को आक्रामकता के शिकार निर्दोष बच्चों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस निर्धारित किया।

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संयुक्त राष्ट्र महासभा का उद्देश्य है कि इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस के जरिए दुनिया भर में शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित बच्चों पर लोगों का ध्यान बढ़े और बच्चों के हितों की रक्षा में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ²ढ़ संकल्प बढ़े।

बच्चों के हितों पर पूरी दुनिया का ध्यान केंद्रित होना चाहिए। आज तक कई देशों और क्षेत्रों में शांति साकार नहीं हुई। द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद अमेरिका ने क्रमश: विदेशों में युद्ध छेड़ा और दुनिया भर में उथल-पुथल बढ़ाई, जिससे जान-मान का भारी नुकसान हुआ।

इराक के बच्चे युद्ध के सबसे बड़े शिकार बने। आंकड़ों के अनुसार इराक में 32 लाख से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते और करोड़ों बच्चे भुखमरी, बीमारी और मौत के खतरे में फंसे। इराक के पड़ोसी देश सीरिया में भी अमेरिका की वजह से वर्ष 2011 से अस्थिरता बढ़ी, जहां बहुत सारे बच्चे कठिनाइयों में फंस गए और अनाथ बने।

उधर, अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री मेडेलीन अलब्राइट ने वर्ष 1996 में मीडिया से कहा था कि इराक युद्ध में 5 लाख बच्चों की मौत होने की आशंका है। हालांकि अलब्राइट इतनी नि:स्नेह थी, लेकिन वह अमेरिका में इतिहास का रुझान बदलने वाले व्यक्तियों में से एक मानी जाती थी। उसकी मौत 23 मार्च को हुई, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पूरे देश में 27 मार्च तक राष्टीय झंडे को आधा झुकाकर शोक जताने की घोषणा की।

बच्चे कभी युद्ध नहीं छेड़ते, लेकिन जब कभी युद्ध होता, बच्चे समाज में सबसे कमजोर सदस्य होने के नाते सबसे गंभीरता से प्रभावित होते हैं। वे डर में जीने को विवश हैं और शिक्षा लेने का मौका नहीं मिल पाते। कुछ बच्चों ने परिजनों को खो दिया, कुछ तो अपनी जान गंवाई। बच्चे बेहतर भविष्य की कामना करते हैं, न कि बीमारी, दर्द, दुर्लभ भोजन और प्रदूषित वातावरण से भरा दयनीय जीवन। बच्चों को सुखी जीवन बीतने का अधिकार है। आशा है कि दुनिया में कभी युद्ध नहीं होगा, सभी बच्चे स्वस्थ और खुश रहेंगे।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

एएनएम

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